सुना था फैसला जन्नत का, मरने बाद होता है,
ना जाने मैं मरा हूं या नहीं, पर ये जहन्नुम है..
अगर जीना यही है तो ख़ुदा, बहकाया मुझको क्यूँ,
अगर जीना यही है तो ख़ुदा, बहकाया मुझको क्यूँ,
बड़ा कहता था दुनिया में, तबस्सुम-ओ-तरन्नुम हैं..
जो आता है यहाँ हर पल, तड़पता और रोता है,
यही दुनिया है तेरी तो, वो सारे सुख कहाँ गुम हैं..
इन्ही के बीच रहना था, दरिंदा मैं भी बन आता,
दिखा इंसान कोई, ना दिखी इंसान की दुम है..
गहरे भाव समेटे भावपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteलौहांगना ब्लॉगर का राग-विलाप
जो आता है यहाँ हर पल, तड़पता और रोता है,
ReplyDeleteयही दुनिया है तेरी तो, वो सारे सुख कहाँ गुम हैं..
अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई
sundar bhav.
ReplyDeleteबहुत गहरा व्यंग्य किया है भाई। बधाई।
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काले साए, आत्माएं, टोने-टोटके, काला जादू।
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद..
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