हाँ सीखा था हमने, सच से, सब आसां होता है,
नहीं मिलता कुछ भी झूठ से, बस फांसा होता है ,
दिल सच्चा हो तो दुनिया भर में नाम दिलाता है,
दिखता कड़वा है पर भीतर मिस्री ही मिलाता है,
सच मान ये सब, राहों पे चलना हमनें शुरू किया,
राहों से डिगे ना अपनी और ना ख़त्म ही जुनूं किया,
हर मोड़ पे सच के साथी कुछ तो मिल ही ते थे,
सौ झूठ बाद भी मिलता सच, दिल खिल ही जाते थे,
धीरे से मगर ये कारवां, छोटा ही होता गया,
हर कोई करके एक-एक बस झूठ ही बोता गया,
कभी सब ही केवल सच का ही बस साथ निभाते थे,
जो मुड़के देखा आज तो इक हम तन्हा आते थे,
इक आस लिये मन में फिर सच को वापस लाने की,
उस राह चले हम जहाँ चाह तो थी ना जाने की,
कुछ मिले पुराने साथी, हैरां करते आलम में,
देखा तो झूठ ही बहता था, हर रग हर धड़कन में,
सच राह पे लाने की मेरी हर कोशिश हार गई,
जो लड़ता झूठ से उसको आज की दुनिया मार गई,
फिर सोचा झूठ के 'आदि' हैं, सच समझ ना पाएंगे,
अब झूठ से ही हम इनको सच की राह दिखाएंगे,
हम भी ख़ातिर फिर काम नेक की झूठे बन बैठे,
झूठों की टोली के फिर हम बन राजा तन बैठे,
बरसों सच की ठोकर खाकर हम इस दर आए थे,
धीरे-धीरे हमको भी झूठ के साधन भाए थे,
इस झूठ सा मीठा और भला दुनिया में क्या होगा,
ना सच से कड़वा और कोई, ना और बुरा होगा,
सच ने सालों तक हमको बस दर-दर भटकाया है,
अब झूठ ही मेरा अल्लाह ईसा और सरमाया है,
ये बाहर से मीठा तो अंदर और भी मीठा है,
दिल झूठा हो जिसका, वो ही आराम से जीता है,
बस झूठ सुकूं देता है झूठ ही काम बनाता है,
सच से सब मुश्किल, झूठ से सब आसां हो जाता है...!!
कोने में दिल के फिर सच्चा होने की चाहत है,
आवाज़ दबी सी है बाकी, कोई बाकी आहट है..!!
bhaiya...pakka aap hi likhte ho na orignaly...???
ReplyDeleteबस झूठ सुकूं देता है झूठ ही काम बनाता है,
ReplyDeleteसच से सब मुश्किल, झूठ से सब आसां हो जाता है...!!
आज के दौर में बडी प्रासंगिक हैं आपकी लिखी पंक्तियाँ..... सुंदर प्रस्तुति
@Shivani... Haanji behnaa main hi likhta hun.. originally..:)
ReplyDeleteशुक्रिया मोनिका जी..
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