Sunday, February 13, 2011

वादा..


उसी दोराहे पे बैठा हूँ जिसपे कह गई थी तुम,
पलक झपके से पहले आऊंगी ये वादा है मेरा..

कभी पानी बहाती हैं, कभी खुदको सुजाती हैं,
बड़ी कोशिश में हैं आँखे कि अब टूटे भरम मेरा..

पहले लौटने की बात समझाते थे सब ही पर,
वो भी मान बैठे हैं कि अब ये ही है घर मेरा..

अब तो धूल भी कदमों से मेरे खौफ खाती है,
इतनी दफ़ा ज़र्रे से हर, पूछा पता तेरा..

तुम्हारे हाथ पीले होने की भी लो खबर आई,
और टूटा ग़ुमा कि इश्क लाएगा असर मेरा..

फूल पहले भी खिलते थे जहाँ तुम पाँव रखती थी,
बसाया है कहीं जो गुल अलग, उजड़ा चमन मेरा..

मनाओ होली-दीवाली मगर एहसास ये रखना,
लहू थमता हुआ है और अंधेरा आशियाँ मेरा..

अभी कुछ याद बाक़ी हैं, उन्ही पे सांस लेता हूँ,
माना तूने था मुझसा नहीं आशिक़ हुआ तेरा..

उसी दोराहे पे बैठा हूँ जिसपे कह गई थी तुम,
पलक झपके से पहले आऊंगी ये वादा है मेरा..

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