Monday, June 11, 2012

बूंदे...


कभी बादलों से, बरसती हैं बूंदें,
कभी अश्क़ बनकर, तरसती हैं बूदें,
कभी प्यास सबकी, बुझाती हैं बूंदें,
कभी आग़ दिल में, लगाती हैं बूंदें..

कभी बन पसीना, हैं ठंडक दिलाती,
कभी बन परेशानी, माथे पे आती,
हों कम तो हलक को, सुखाती हैं बूंदें,
हों ज़्यादा तो सब कुछ, बहाती हैं बूंदें..

जो बूंदों का संग हो, तो मुस्काए गागर,
जो बूंदो से जुड़ जाएं बूंदे, तो साग़र,
जो ग़र कद्र ना हो, मिटाती हैं बूंदें,
जो सीखो तो जीना, सिखाती हैं बूंदें..

जिसम में, ज़मीं में, हवा में हैं बूंदें,
जहां भी जहां है, जहां में है बूंदें,
जो सोचो तो जीवन, चलाती हैं बूंदें,
जो देखो तो दुनिया, बनाती हैं बूंदे..

Friday, June 1, 2012

यही दो दिन तो होते हैं, कि मैं नौकर नहीं होता (शुक्र है..शुक्रवार है..#38)


शुकर है आज शुक्करवार है, घर खुश मैं जाऊंगा,
हंसूंगा, खूब बोलूंगा, थकन सारी मिटाऊंगा..

कोई पिक्चर, कोई नाटक, कोई नॉवल, खबर कोई,
या पत्ते दोस्तों के संग, कोई क्वाटर, बियर कोई,
मैं पूरी रात जागूंगा, सुबह जाकर मैं सोऊंगा,
उठूंगा जब करेगा दिल, नहाऊंगा न धोऊंगा..

न कोई शर्ट, ना ट्राउसर, न कोई बेल्ट, ना जूते,
कोई ढीला सा इक लोअर, टंगी टी-शर्ट जो खूंटे,
मैं खुल के लूंगा अंग्ड़ाई, मैं जी भर के जंभाऊंगा,
जहां खुजली लगेगी, ठीक उस जगहा खुजाऊंगा..

न शाही वेज, न तंदूरी, न कोई और ही धोखा,
मेरे मन में जो आएगा, मेरी थाली में वो होगा,
कहीं से देख रेसीपी, मैं कोई डिश बनाऊंगा,
मिलाके फ़ोन मम्मी को, कहानी फिर सुनाऊंगा..

पुराने दोस्तों से, कुछ पुरानी बात की बातें,
वो कुछ मस्ती भरे किस्से, वो अपनी मौज की रातें,
ज़रा सी देर लम्हों को, मैं कुछ वापस घुमाऊंगा,
किसी को याद कर लूंगा, किसी को याद आऊंगा..

यही दो दिन तो होते हैं, किसी का डर नहीं होता,
यही दो दिन तो होते हैं, कि मैं नौकर नहीं होता,
यही बस सोच कर, फिर से ज़रा दिल को मनाऊंगा,
शुकर है आज शुक्करवार है, घर खुश मैं जाऊंगा..