Tuesday, March 29, 2011

आँखें..



गला सूखा तड़पता, आँख ये नम हो कराहती हैं,
बुझेगी प्यास कैसे, नीर सारा दे बहाती हैं..

करूं गर बंद पलकें, तो 'उन्हे' हैं देख रो देती,
ना गर झपकूं, तो पाने को झलक इक, दौड़ जाती हैं..

गुज़ारी रात पूरी फिर है, कल खिड़की पे ही बैठे,
उजाले में कभी परछाई में, 'उनको' दिखाती हैं..

कभी पूनम का गर गलती से, इनको चाँद दिख जाए,
बड़ी खुश हो ये, 'उस' चेहरे पे इक टक दे जमाती हैं..

सुबह क्यूं सूजती हैं, ढूँढा जब ये राज़ तो जाना,
ये 'उनको' देख ख्वाबों मे, खुशी से फूल जाती हैं..

नहीं मुमकिन खुली रहके है, 'उनको' देख पाना तो,
ये धड़कन थाम, सांसें रोक भी, दीदार चाहती हैं.. 

Saturday, March 26, 2011

मरता भी नहीं है ये..


मोहब्बत क्या सितम है, अब तलक एहसास करता हूं,
मैं जिसके वार से घायल, उसी की आस करता हूं,
बेहोशी में, ख़यालों में जो उनके, आह भर बैठूँ,
तो कहते हैं, कड़ी जां हूँ, अभी तक सांस भरता हूँ..

उन्हे क्या इश्क़ समझाऊं, लिये सीने में पत्थर हैं,
ना वाइस मैं सही, तो वो भी मुझसे ख़ाक बेहतर हैं,
मगर दिल है जो ठहरा है, के उनकी हो झलक हासिल,
बिना दीदार उठ जाऊं, तो फिर क्या और बद्तर है..

नहीं किस्मत वो इस दिल की, समझता भी नहीं है ये,
तड़पता है, बिना उनके, धड़कता भी नहीं है ये,
किये तैयार बैठे हैं जनाज़ा, जो मेरे दर पे,
तमाशा देख कहते हैं, लो मरता भी नहीं है ये..!!

Friday, March 25, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#3




अरे नादान लोगों, छोड़ दो मय को बुरा कहना,
उन्हे जीना सिखाती है, जिन्हे भाता मरा रहना,
ना बाहर बैठ कर बोलो, के आओ बीच मैदां में,
ज़रा दो जाम लो भीतर, ना भाए तो ज़रा कहना..!!

Tuesday, March 22, 2011

यादों से तेरी इश्क़ करता हूं..



ना जाती है जो आती है, मेरे दिल को दुखाती है,
लहू आँखों से बहता है, जो तेरी याद आती है..

बता ऐसा करूं मैं क्या, मेरे दिल को सकूं आए,
तू जितना दूर जाती है, ये उतना पास आती है..

कोई कोना नहीं दिल का, ना जिसमें दर्द होता हो,
गुज़रती है जिधर से भी, उधर से काट जाती है..

तुझे कितना बुलाया, पर असर, तुझपर नहीं कोई,
इसे कितनी दफ़ा भेजा, ये फिर भी लौट आती है..

ना इक पूरा किया तूने, थे जितने भी किए वादे,
मैं ना भी चाहूं, तो भी ये, किये सारे निभाती है..

बड़े कम थे हसीं लम्हे, जो तेरे साथ में गुज़रे,
हुई मुद्दत, ये हर धड़कन ही मेरे संग बिताती है..

तुझे मुझमें ख़राबी ही नज़र आती थी हर कोई,
इसे इतनी मोहब्बत, के रगों में दौड़ जाती है..

मैं तुझको भूल के, यादों से तेरी इश्क़ करता हूं,
के अब तो याद आती है, तो मुझको सांस आती है..

Friday, March 11, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#2


आया Friday तो दिल में इक झनकार आती है,
चमक आँखो मे लेकर शाम ये हर बार आती है,
बढ़ा थोड़ी Limit मेरी ख़ुदा तू और पीने की,
यही प्याले से हर बोतल से बस दरकार आती है...!!

Thursday, March 10, 2011

एक आदत मुस्कुराने की..



मै इंसा हूं, नहीं आदत मुझे, इंसां सताने की,
नहीं कम दर्द हैं पर, एक आदत मुस्कुराने की..

सभी जीते हैं, सब ही वक़्त अपना काट लेते हैं,
खड़े कुछ हों तने, बाकी तो तलवे चाट लेते हैं,
छुपाते हैं वो, जिनपे है ज़रूरत से कहीं ज़्यादा,
है जिनपे एक ही रोटी, वो आधी बांट लेते हैं ..

खुशी सब बाटने की, ग़म अकेले झेल जाने की,
नहीं कम दर्द हैं पर, एक आदत मुस्कुराने की..

मिला है एक जीवन, क्यूँ भला इसको ग़ंवांते हो
जो खुद के काम बस आए, उसे क्यूँ जां बताते हो,
किसी चेहरे पे रौनक दो, तो ख़ुद ही आशियां चमके,
किसी के आंसुओं से घर में दीपक क्यूँ जलाते हो,

जिसे तक़लीफ हो, खुल के उसे हंसना सिखाने की,
नहीं कम दर्द हैं पर, एक आदत मुस्कुराने की..

कोई गर हो ज़रूरत में, बढ़ाओ, हाथ ना रोको,
किसी को दे खुशी, दो साथ ऐसा, साथ ना रोको,
बुरा पहले ही क्या कम है, बुरा जो और कहते हो,
भला बोलो, जो दिल को दे सुकूं, वो बात न रोको,

मैं जिससे भी मिलूं, अपनी उसे आदत लगाने की,
नहीं कम दर्द हैं पर, एक आदत मुस्कुराने की..!!

Wednesday, March 9, 2011

कदम दो साथ में चल लूँ..


मुझे बदनाम तू कर ले, उसे शौहरत अगर तू दे,
उसे ईनाम सारे दे, मुझे तोह्मत अगर तू दे,
जुदा तू कर ही देगा रब अगर तेरी यही ज़िद है,
कदम दो साथ में चल लूँ, मुझे मोहलत अगर तू दे. 

Tuesday, March 8, 2011

किसी को इश्क़ होता है, किसी को प्यार होता है...

किसी को इश्क़ होता है, किसी को प्यार होता है,
करे इनकार सौ चाहे, मगर इक बार होता है,
वो कोई आम इंसां हो, भले हो सूरमा कोई,
जिसे ये रोग लग जाए, वही बेकार होता है..

ये बीमारी भी ऐसी है, कि ख़ुद बीमार को भाए,
दवा बस एक मुमकिन, यार का दीदार हो जाए,
अगर कोई ये कहे, कि दूर तेरा मर्ज़ मैं कर दूं,
ना अच्छा होना चाहे, जो बुरा इक बार हो जाए..

ये दरिया आग का, सब डूबते, कोई नहीं बचता,
है ऐसा खेल, जिसमें चाल, कोई खुद नहीं रचता,
जिसे हासिल हुई हामी, वो मरता है खुशी मारे,
जिसे इनकार मिलता है, उसे जीना नहीं जंचता..

उन्हीं की याद में, शाम-ओ-सहर, अक्सर गुज़रती हैं,
कहीं भी हो शुरु बातें, वहीं आकर ठहरती हैं,
अगर मिल जाएं दो जां, गूंजता है आसमां सारा,
मगर दिल टूटने की आह तक, छुपकर बिखरती हैं..

Saturday, March 5, 2011

मेरा इश्क है सच्चा...




कोई भी रास्ता दिखता नहीं, अब पार पाने को,
वो लड़ते ही कुछ ऐसे हैं, कि दिल हो हार जाने को..

है उनके हुस्न के जादू का, कुछ चर्चा गरम ऐसा,
सुना है कब्र से उठ आये कुछ, दीदार पाने को..

उतरते हैं वो कुछ ऐसी अदाओं से, ज़हन में कि,
नहीं तैयार कोई, बन के पहरेदार आने को..

जो कहते थे, नहीं फूलों से बेहतर और है खुश्बू,
दुआ करते हैं फिर उनकी महक, इक बार पाने को..

के उनकी इक झलक पे दम निकलता, सांस रुकती है,
वो क़ातिल हों तो हम राज़ी हैं, मर सौ बार जाने को..

उन्हे बस ये यकीं आए, कि मेरा इश्क है सच्चा,
भले ना आरज़ू पूरी हो, उनका प्यार पाने को..

सभी कहते हैं, हमने ज़िन्दगी बर्बाद कर डाली,
हमें अरमान फिर भी, ये जनम हर बार पाने को..!!

Friday, March 4, 2011

शुक्र है.. शुक्रवार है..#1


मय (मदिरा) के दीवानों के लिये "शुक्र है.. शुक्रवार है.." नाम से 
हर शुक्रवार की शाम कुछ पंकतियाँ यहाँ प्रस्तुत करने की कोशिश करूंगा.. 
पहली कड़ी प्रस्तुत है...




लोग :

गर्मी हो सर्दी हो, धूप हो बरसात हो,
ग़म हो खुशी हो, अकेले हों साथ हों,
पीने वालों को पीने का बहाना हर बात में मिल जाता है...

हम :

गर्मी में सर्दी लगे, धूप ही बरसात हो,
ग़म मे खुशी दे, अकेले भी साथ हों,
मय ही है जिससे दिल, हर मौसम हर हालात में खिल जाता है...
मय ही है जिससे हर ज़ख्म, बस एक रात में सिल जाता है...