खुशियाँ सारी पाने की, रख आस तू कोशिश करता चल,
जब तक बाकी साँस रहे, हर साँस पे कोशिश करता चल..
ना राह कठिन हो अगर मुसाफ़िर, खाक मज़ा है चलने में,
कांटो पर हँसकर बढ़ने की, बेबाक तू कोशिश करता चल..
दिल अगर कभी जो तुझको फुसलाने की साज़िश कर बैठे,
उल्टा उसको बहलाने की, बस पाक तू कोशिश करता चल..
सौ ज़ख़्म सही, सौ दर्द सही, कुछ तो मोती भी बिखरेंगे,
झोली फैलाक़े शाम-सहर, बरसात की कोशिश करता चल..
गर रात अंधेरी, बगिया तेरी, मुरझाने की चाह करे,
सूरज ख़ुदका चमकाने की, हर रात तू कोशिश करता चल..
जो लगे कभी की औरों को तो बात बिना फल मिलता है,
तू छोड़ मिलाना औरों से, बस अपनी कोशिश करता चल..
बंजर हो धरती दूर-दूर, ना आस उपज की दिखती हो,
तो लहू को अपने खाद बना, नस काट तू कोशिश करता चल..
मल्हार राग के बाद भी गर, सूखा जो दामन रह जाए,
तू अश्कों को दे साँस नई, और बाढ़ की कोशिश करता चल..
ना नज़र गड़ा तू बोतल पर, ना नियत तू रख मयखाने की,
एक जाम पकड़ के हाथों में, दूजे की कोशिश करता चल..
नायाब है वो भी कारीगर, तू भी नायाब नमूना है,
महताब तुझे जो कर जाए, उस रात की कोशिश करता चल..
ना शुरू किया ना ख़त्म करेगा, फिर क्यूँ है इस चक्कर में,
'आदि' भी तू है अंत भी तू, ना सोच तू कोशिश करता चल..
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