Sunday, April 24, 2011

याद आता है..



नज़ाकत से मोहब्बत-प्यार करना, याद आता है,
छुपे इज़हार पर वो आह भरना, याद आता है..

मचा के शोर सच्चे प्यार का, फिर साथ बस दो दिन,
झुका के वो पलक इक़रार करना, याद आता है..

सरकता था कहीं पल्लू तो जां सबकी निकलती थी,
नुमाइश अब तो लगती है, तरसना याद आता है..

पड़े मजनू को जो पत्थर, तो लैला भी चहकती है,
वो नीचे चोट, ऊपर जाँ निकलना याद आता है..

जो हटती थी नहीं चेहरे से, टिकती है बदन पे बस,
नज़र नज़रों से मिलके दिन गुज़रना, याद आता है..

कभी लुटते थे पर्दे में छुपी आवाज़, बस सुनकर,
वो दिल को देख कर दिल का धड़कना, याद आता है..

इधर इज़्ज़त है बेची, तो उधर ग़ैरत गंवाई है,
है जिनसे इश्क़, उनको 'आप' कहना, याद आता है..


Friday, April 22, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#7



ये मेरा नाम करने को, सदा बदनाम होती है,
ये ख़ुदपर लेके सारे मेरे, जब इल्ज़ाम धोती है,
मेरा सब छीन कर दुनिया, बुरा मय को बताती है,
ये भरने को मुझे, ख़ाली हो ख़ुद कुर्बान होती है..

Friday, April 15, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#6




पियूं ज़्यादा, तो ज़्यादा, कम, तो कम, ये काम करती है,
हुनर सारे बढ़ा देती है, जग में नाम करती है,
बड़ी मासूम है, सीधी है सच्ची है ये मय मेरी,
ना जाने क्यूँ भला, दुनिया इसे बदनाम करती..

Thursday, April 14, 2011

जिसे नफ़रत है मुझसे, मैं उसी से प्यार करता हूँ..




उसी को देख जीता हूँ, मैं जिसपे यार मरता हूँ,
जिसे नफ़रत है मुझसे, मैं उसी से प्यार करता हूँ..

नज़र जब भी वो आती है, तभी मदहोश होता हूँ,
जो ना देखूं तो बेचैनी, जो देखूं होश खोता हूँ,
कुचल जाती है वो हर बार, बेदर्दी से दिल मेरा,
मगर उसकी ही राहों में, पड़ा हर रोज़ होता हूँ..

मैं जिससे चोट खाता हूँ, वही हर बार करता हूँ,
जिसे नफ़रत है मुझसे, मैं उसी से प्यार करता हूँ..

ना दिल पे है रहा काबू, ना ख़ुदको रोक पाता हूँ,
तबाह होता हूँ, मालुम है, मगर ना टोक पाता हूँ,
निगाह फेरी जो उसने, वो भुला बैठी मेरी हस्ती,
मैं होके राख़ भी, इक याद तक ना झोंक पाता हूँ..

वही है तीर, फिर से, दिलके आरम-पार करता हूँ,
जिसे नफ़रत है मुझसे, मैं उसी से प्यार करता हूँ..

उसी को देखकर-सुनकर, मचलता हूं बहलता हूँ,
जहाँ उम्मीद हो उसकी, उसी रस्ते पे चलता हूँ,
मेरे गर ज़ख्म दिख जाएं, खुशी उसकी नहीं छुपती,
वो मुझको देख मुस्काए, लिए ख़ंजर टहलता हूँ..

उसे देकर ख़ुशी, जीना मैं ख़ुद दुश्वार करता हूँ,
जिसे नफ़रत है मुझसे, मैं उसी से प्यार करता हूँ..

मझे मालूम, वो भी है समझती, जो ना कहता हूँ,
वो ख़ुद मुझको उभारेगी, लिये उम्मीद बहता हूँ,
मेरा गर नाम सुन ले साथ अपने, वो उबलती है,
जवाबों को सवालों में छुपाए, मैं भी सहता हूँ..

कोई पूछे अगर मुझसे, भले इनकार करता हूँ,
जिसे नफ़रत है मुझसे, मैं उसी से प्यार करता हूँ..!!

Sunday, April 10, 2011

तरीक़ा कोई तो होता, है कितना प्यार कह पाता..




इश्क़ मे जीत मिल जाती, तो मैं हर हार सह जाता,
तरीक़ा कोई तो होता, है कितना प्यार कह पाता..

सुनी ना एक भी मेरी, सदा दिल ने जो दीं हर दम,
मैं हंसता था हंसाने को, ना वो समझे, मुझे है ग़म,
वो होते ख़ुश, तो ख़ुश होता, वो रोते थे, तो रोता था,
ज़ख़म मेरे जो दुख़ते थे, ना होती थी ये आँखें नम..

यकीं करते जो मेरे इश्क़ पे, इनकार सह जाता,
तरीक़ा कोई तो होता, है कितना प्यार कह पाता..

सभी तो देख कहते थे, के मैं बर्बाद होता हूं,
अकेला मैं भरम में था, के मैं आबाद होता हूं,
मैं उनको मांग, अपनी हर दुआ में, सांस लेता था,
मैं ख़ुश हो सोचता था, उनकी मैं फ़रियाद होता हूं..

किनारे राह गर तकते, मैं हर इक बार बह जाता,
तरीक़ा कोई तो होता, है कितना प्यार कह पाता..

के सारी कोशिशें कर ली, मुझे दिल में पनाह दें वो,
भले थोड़ी सही, कोने में ही, मुझको जगाह दें वो,
सभी इल्ज़ाम उनके, हूं मैं राज़ी नाम लेने को,
बुलाएं तो मुझे इक बार, चाहे बस गुनाह दें वो..

जिसे वो चूमते, उस फूल का बन ख़ार रह जाता,
तरीक़ा कोई तो होता, है कितना प्यार कह पाता..

समझ ना पाया उनकी बेरुख़ी को, ज़िंदगी भर मैं,
वो थे गर पाक़, उनकी आँख में, था गंदगी भर मैं,
मुझे क़ाफ़िर समझते वो, समझता मैं ख़ुदा उनको,
उन्ही के सामने झुकता, उन्ही की बंदगी पर मैं..

ज़रा इज़हार तो करते, उन्हे बेज़ार सह जाता,
तरीक़ा कोई तो होता, है कितना प्यार कह पाता..

जो टूटा है, उन्ही की बद्दुआ का है असर सारा,
धड़कता है ज़रा थम के, धड़कता है मगर मारा,
उन्ही के साथ की चाहत में ही, सब ज़ख़्म खाए हैं,
उन्ही को चाहता फिर भी, उन्ही का साथ है प्यारा..

वो गर अपना बना लेते, मैं हर इक वार सह जाता,
तरीक़ा कोई तो होता, है कितना प्यार कह पाता..!!

* ख़ार - काँटा ( Thorn )
* बेज़ार - नाराज़ / नाख़ुश ( Displeased/ Angry)


Saturday, April 9, 2011

मर्ज़ी से बड़े दिन बाद धड़कूंगा..




तू क्या छोड़ेगी मुझको, मैं ही तुझको छोड़ जाऊंगा,
यकीं टूटा है मेरा, ख़्वाब तेरे, तोड़ जाऊंगा,
भुला दूंगा तुझे मैं, और तुझसे इश्क़ को भी हाँ,
जिसे टुकड़े किया तूने, उसे भी जोड़ जाऊंगा..

जो वादे थे किये मुझसे, ना उनकी आस रखूंगा,
गुज़ारे संग जो, ना इक भी लम्हा ख़ास रखूंगा,
ये ना तू सोचना, के सोच तुझको, आएंगे आँसू,
रहा गर मैं दुखी, तो ग़म तेरे भी पास रखूंगा..

बड़ा तड़पा हूँ संग तेरे, ना तेरे बाद तड़पूंगा,
वफ़ा अपनी, जफ़ा तेरी, ना मैं कर याद भड़कूंगा,
कभी रुकता-ओ-चलता था, ये तेरे आने जाने से,
बड़ा खुश है, के मर्ज़ी से बड़े दिन बाद धड़कूंगा..

ना इक भी अब खुशी, हिस्से की अपने मैं गंवांऊंगा,
तेरी मुस्कान ख़ातिर, अब ना अपनी मैं उड़ाऊंगा,
जियूंगा इस तरह से कुछ मैं, बाकी ज़िन्दगी अपनी,
के तुझको छोड़, बाकी सब पे खुशियां मैं लुटाऊंगा..

Friday, April 8, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#5

 
बढ़ा दे जो खुशी, पी ले जो ग़म, वो जाम ही तो है,
सही बदनाम कितनी भी, मगर कुछ काम की तो है,
सभी कुछ बांट डाला है, रईसों मे गरीबों में,
बची बस मय ही है,अब-भी अमीर-ओ-आम की जो है..

Friday, April 1, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#4




कहो मुझको मगर, पहले ये जानो क्या शराबी है,
हाँ पीता हूँ, मैं पीता हूँ, ना इसमें शक़ ज़रा भी है,
जो मीठा सा ज़हर तोड़े है दिल, उससे तो ये बेहतर,
बना दे यार दुश्मन को भी, इसमें क्या ख़राबी है.. !!