Friday, November 4, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#24


किए पुर्जे दिल के, ग़म के कारखाने ने,
उठा उठा के पटका, रूह को ज़माने ने,
नहीं पीता अगर, तो कब का मर गया होता,
मुझे ज़िंदा है रखा, मय ने ओ मयखाने ने..

2 comments:

  1. क्या बात है भाई लगता है बहुत खार खाए बैठे हो. सुंदर अति सुंदर.

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  2. bhai bina khaar gulaab nahi hotaa... hum to cheez kya hain.. :)

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