Saturday, October 22, 2011

फिर से बात वही है..


जिस बात पे रोया था, फिर से बात वही है,
जिस रात ना सोया था, फिर से रात वही है..

जज़्बात जगाती हुई, बरसात वही है,
अंजाम भी होगा वही, शुरुआत वही है..

जिसमें कि पड़ गये थे मेरी अक़्ल पे पर्दे,
बस शख़्स ये नया है, मुलाक़ात वही है..

लगता था टूट कर तो सुधर जाएगा लेकिन,
कमबख़्त दिल की सारी ख़ुराफ़ात वही हैं..

सोचा था तजुर्बे से कुछ तो राज़ खुलेंगे,
पर इश्क़ की राहों के तिलिस्मात वही हैं..

है जुर्म भी ऐसा, कि मुक़दमा नहीं कोई,
चालें भी पुरानी हैं वही, मात वही है..

पत्थर को उनके, दिल की शक़्ल दे भी दूं अग़र,
तोड़ेगा ही कुछ, उसकी तो औक़ात वही है..

वो दें दग़ा तो दें भले, तू दे वफ़ा 'घायल,
तेरी भी यही है, जो उनकी ज़ात वही है..


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