किए पुर्जे दिल के, ग़म के कारखाने ने,
उठा उठा के पटका, रूह को ज़माने ने,
नहीं पीता अगर, तो कब का मर गया होता,
मुझे ज़िंदा है रखा, मय ने ओ मयखाने ने..
उठा उठा के पटका, रूह को ज़माने ने,
नहीं पीता अगर, तो कब का मर गया होता,
मुझे ज़िंदा है रखा, मय ने ओ मयखाने ने..
क्या बात है भाई लगता है बहुत खार खाए बैठे हो. सुंदर अति सुंदर.
ReplyDeletebhai bina khaar gulaab nahi hotaa... hum to cheez kya hain.. :)
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