Wednesday, May 25, 2011

टूटे सपने..




कभी मन मार लेता हूँ, कभी लगता हूँ रब जपने,
वो अब भी याद आते हैं, मुझे टूटे मेरे सपने..

सभी ने दी सलाह वो काम कर, दिल को मज़ा जो दे,
ख़ुदा से पूछ, करता चल, अगर बस वो रज़ा जो दे,
ये दिल नायाब है, अनमोल हैं ये धड़कनें सारी,
कभी ना काम ऐसा कर, तेरे दिल को सज़ा जो दे..

दिखा के दूर से जन्नत, कदम लूटे मेरे सबने,
वो अब भी याद आते हैं, मुझे टूटे मेरे सपने..

जला के आँख के सपने, कई रातें जगे काटी,
चली जो आरज़ू मेरी पे, वो बंदिश भरी लाठी,
कभी रस्मों ने दुनिया की, कभी झूठे रिवाज़ों ने,
गला घोटा दबी आशाओं का, इच्छा सभी छाँटी..

सरकते रेत से, हाथों से सब छूटे मेरे अपने,
वो अब भी याद आते हैं, मुझे टूटे मेरे सपने..

जलाने ही थे सारे ख़्वाब तो मुझको दिखाए क्यूँ,
गुनाह है जिनपे चलना, रास्ते वो थे सिखाए क्यूँ,
नहीं मालूम था वो ख़्वाब, बस बचपन में ही सच थे,
है अब अफ़सोस ये, जल्दी में लम्हे थे बिताए क्यूँ..

ना तब मालूम था, अरमान-ए-दिल यूं थे मेरे तपने,
वो अब भी याद आते हैं मुझे, टूटे मेरे सपने..

6 comments:

  1. जलाने ही थे सारे ख़्वाब तो मुझको दिखाए क्यूँ,
    गुनाह है जिनपे चलना, रास्ते वो थे सिखाए क्यूँ,
    नहीं मालूम था वो ख़्वाब, बस बचपन में ही सच थे,
    है अब अफ़सोस ये, जल्दी में लम्हे थे बिताए क्यूँ..

    आपकी इन बातों में जीवन का सार छिपा है।

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  2. सपनों के टूटने पर टूटना अच्छी बात नहीं है | अच्छी रचना बधाई

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  3. बहुत उम्दा रचना...

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  4. हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।

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  5. जलाने ही थे सारे ख़्वाब तो मुझको दिखाए क्यूँ,
    गुनाह है जिनपे चलना, रास्ते वो थे सिखाए क्यूँ,
    नहीं मालूम था वो ख़्वाब, बस बचपन में ही सच थे,
    है अब अफ़सोस ये, जल्दी में लम्हे थे बिताए क्यूँ...
    houale buland rakhiye har raat ke baad subah hotee hee hai ........
    shubhkamnae .
    behatreen abhivykti .

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