Friday, May 27, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#12




जो आते हैं ये बादल, क्यूं भला दिल सा मचलता है,
क्यूं आती याद है मय, क्यूं ना उस-बिन दिल बहलता है,
हमें तो शक़ है यूं के, बादलों के पर्दे के पीछे,
वो ख़ुद हाथो में लेकर जाम, मस्ती में टहलता हैं..!

4 comments:

  1. वाह, पलछिन तो मेरे पोती का नाम है. बड़ी खुश होगी.

    ReplyDelete
  2. शुक्र है की आज शुक्रवार है ,बस आपसे ही मिलने का इंतजार है |

    ReplyDelete
  3. अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete