Friday, May 13, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#10


नहीं जो होश में हासिल, किए बिन ग़ौर मिलता है,
ख़तम एहसास होता है, जो ग़म हर दौर मिलता है,
मज़ा है दर्द का अपना अलग, तो चोट का अपना,
मगर जो है शराबों में, कहीं ना और मिलता है..

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