Sunday, May 1, 2011

इनकार की रातें..


बहुत ही कम ऐसे ख़ुशनसीब होते हैं, जिन्हे प्यार के बदले प्यार मिल जाता है,
ज़्यादातर तो इकतरफ़ा प्यार को, और इनकार को दिल में दबाए,
जिनसे मोहब्बत है उनसे दूर रहते हुए ही ज़िन्दगी गुज़र जाती है,
लेकिन अगर वो शख़्स जिंदगी के किसी मोड़ पर फिर से आपसे मिल जाय,
तो सारी दबी हुई ख़्वाहिशें फिर से जाग उठती हैं,
और.....



कहूँ क्या किस तरह, किस दौर फिर कर रात निकली है,

कहूँ क्या किस तरह, किस दौर फिर कर रात निकली है,
जिगर जो चीरती है, दिल से फिर वो बात निकली है,
बड़े सालों से था अरमान इक, रखा दबा दिल में,
बुझे शोलों में देती आग, फिर बरसात निकली है..

बुझे शोलों में देती आग, फिर बरसात निकली है..

वही मंज़र पुराना, आँख से नींदें उड़ाने का,
वही बेकार का वादा, उन्हे फिर से भुलाने का,
वो फिर उम्मीद करना, उनके मुँह से हाँ निकलने की,
वही लौटा ज़माना, सच से ले नज़रें चुराने का..

वही लौटा ज़माना, सच से ले नज़रें चुराने का..

धड़कना फिर से दिल का, सोच उनको अपनी किस्मत में,
ख़ुदा से फिर दुआ, और फिर भरोसा उसकी कुदरत में,
वो उनको रास आने के लिये, बर्बाद फिर होना,
वो फिर देना उन्हे दिल, तोड़ना है जिनकी फ़ितरत में..

वो फिर देना उन्हे दिल, तोड़ना है जिनकी फ़ितरत में..

वो टुकड़े जोड़ना फिर, सोचना सब प्यार की बातें,
बड़ी झूठी हैं, ज़ालिम हैं, ये सब बेकार की बातें,
वो मुझको छोड़ फिर से, और से इक़रार कर बैठे,
गुज़ारूं किस तरह मैं, फिर से ये इनकार की रातें..

गुज़ारूं किस तरह मैं, फिर से ये इनकार की रातें..
गुज़ारूं किस तरह मैं, फिर से ये इनकार की रातें..

2 comments:

  1. जिगर जो चीरती है, दिल से फिर वो बात निकली है,
    बहुत सुन्दर लिखा आपने. बधाई.

    आपका स्वागत है.
    दुनाली चलने की ख्वाहिश...
    तीखा तड़का कौन किसका नेता?

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  2. ekdam mast hai bhai.....wah wah...

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