किसी को इश्क़ होता है, किसी को प्यार होता है,
करे इनकार सौ चाहे, मगर इक बार होता है,
वो कोई आम इंसां हो, भले हो सूरमा कोई,
जिसे ये रोग लग जाए, वही बेकार होता है..
ये बीमारी भी ऐसी है, कि ख़ुद बीमार को भाए,
दवा बस एक मुमकिन, यार का दीदार हो जाए,
अगर कोई ये कहे, कि दूर तेरा मर्ज़ मैं कर दूं,
ना अच्छा होना चाहे, जो बुरा इक बार हो जाए..
ये दरिया आग का, सब डूबते, कोई नहीं बचता,
है ऐसा खेल, जिसमें चाल, कोई खुद नहीं रचता,
जिसे हासिल हुई हामी, वो मरता है खुशी मारे,
जिसे इनकार मिलता है, उसे जीना नहीं जंचता..
उन्हीं की याद में, शाम-ओ-सहर, अक्सर गुज़रती हैं,
कहीं भी हो शुरु बातें, वहीं आकर ठहरती हैं,
अगर मिल जाएं दो जां, गूंजता है आसमां सारा,
मगर दिल टूटने की आह तक, छुपकर बिखरती हैं..
प्यार के अहसास का बखुबी चित्रण।
ReplyDeleteवो कोई आम इंसां हो, भले हो सूरमा कोई,
ReplyDeleteजिसे ये रोग लग जाए, वही बेकार होता है..
-बहुत उम्दा!
अच्छी गजल।
ReplyDeleteइस गजल को पढकर एक शेर याद आ गया,
' आगाजे तमन्ना से अंजामे मुहब्बत तक,
गुजरी है जो कुछ दिल पर तुमने भी सुनी होगी।'
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ReplyDeletebahoot achche janab behad umda
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