मय (मदिरा) के दीवानों के लिये "शुक्र है.. शुक्रवार है.." नाम से
हर शुक्रवार की शाम कुछ पंकतियाँ यहाँ प्रस्तुत करने की कोशिश करूंगा..
पहली कड़ी प्रस्तुत है...
लोग :
गर्मी हो सर्दी हो, धूप हो बरसात हो,
ग़म हो खुशी हो, अकेले हों साथ हों,
पीने वालों को पीने का बहाना हर बात में मिल जाता है...
हम :
गर्मी में सर्दी लगे, धूप ही बरसात हो,
ग़म मे खुशी दे, अकेले भी साथ हों,
मय ही है जिससे दिल, हर मौसम हर हालात में खिल जाता है...
मय ही है जिससे हर ज़ख्म, बस एक रात में सिल जाता है...
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