Wednesday, February 15, 2012

तो कुछ बात बने..( Part-5 )


अभी आग़ाज़ है महफ़िल का, अभी मौज कहां,
ज़रा महौल जो गर्माए, तो कुछ बात बने..

नहीं आता मज़ा अब, पी के लुड़क जाने में,
मैं पियूं और वो लड़खड़ाए, तो कुछ बात बने..

जो कह नही पाता मैं, वो धड़कने कह दें,
ज़रा दिल कोई यूं धड़काए, तो कुछ बात बने..

वो जितनी बार बदले राहें, मुझसे दूरी को,
वो आके मुझसे ही टकराए, तो कुछ बात बने..

जिसे हर शख़्स, बेहया के नाम से जाने,
वो मेरे नाम पे शर्माए, तो कुछ बात बने..

वो भड़क जाए, सुनके नाम मेरा, ऊपर से,
मन-ही-मन मगर इतराए, तो कुछ बात बने..

ये सच नहीं, कि मैं बहकाए में नहीं आता,
कोई बहका हुआ बहकाए, तो कुछ बात बने..

यही कोशिश रही सदा, के कोई ना रूठे,
कभी कोई मुझको भी मनाए, तो कुछ बात बने..

बात सीधी हो अगर, वो असर नहीं करती,
ज़रा लफ़्ज़ों को जो उलझाए, तो कुछ बात बने..

कोई हिसाब नहीं, पीठ में खंजर कितने,
कोई सीने में जो घुसाए, तो कुछ बात बने..


TBC..

34 comments:

  1. वाह ...बहुत बढिया।

    ReplyDelete
  2. ये सच नहीं, कि मैं बहकाए में नहीं आता,
    कोई बहका हुआ बहकाए, तो कुछ बात बने... waah

    ReplyDelete
  3. सीधी बात सच में असर नहीं करती ,आपने जिस तरह कहा उसमें असर है .

    ReplyDelete
    Replies
    1. Phir to koshish safal ho gai.. :)
      Bahut bahut shukriya

      Delete
  4. कोई हिसाब नहीं,पीठ में खंजर कितने..
    कोई सीने में जो घुसाए तो कुछ बात बने...
    वाह!!!

    बहुत अच्छे आदित्य जी...

    ReplyDelete
    Replies
    1. Bahut bahut shukrya Vidya ji, mujhe khushi hai ki apko pasand aai :)

      Delete
  5. wo bhadak jaye mera nam sun kar upperse,
    man hi man etraye to kuch bat bane.......
    BAHUT HI SUNDAR GAZAL ADITYAJI

    ReplyDelete
  6. Heavy words :) !
    Took me some time to read through it

    ReplyDelete
  7. आदित्य जी...वाह!!!!बहुत अच्छी प्रस्तुति,बेहतरीन...
    पोस्ट में आने के लिए आभार,..आपकी पोस्ट में आना सार्थक रहा,...
    मै आपका फालोवर बन रहा हूँ आप भी बने मुझे हार्दिक खुशी होगी ...धन्यबाद

    MY NEW POST ...कामयाबी...

    ReplyDelete
  8. i read the complete parts again 2day...just awesome...:)

    ReplyDelete
  9. ek ek shabd kamaal hai

    ReplyDelete
  10. वाह|||
    बहुत ही बेहतरीन ,गजब का लिखा है...
    बढ़िया रचना है.....:-)

    ReplyDelete
  11. आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    http://charchamanch.blogspot.com
    चर्चा मंच-791:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

    ReplyDelete
    Replies
    1. Kuch din ke liye ghar chala gaya tha Sirji.. Charcha mein shaamil nahi ho paaya.. Maafi chaahta hun ..

      Delete
  12. बहुत बेहतरीन....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    ReplyDelete
  13. लाज़वाब! अंतस को छू जाने वाली रचना..

    ReplyDelete
  14. नहीं आता अब मजा पीके लु़ड़क जाने में
    मैं पिऊँ और वो लुड़क जाये तो कोई बात बने।
    बेहतरीन......
    कृपया इसे भी पढ़े-
    नेता- कुत्ता और वेश्या(भाग-2)

    ReplyDelete
  15. वाह!!!!!बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना

    MY NEW POST ...सम्बोधन...

    ReplyDelete
  16. बेहतरीन गज़ल। मक्ता लाज़वाब है।..बधाई।

    ReplyDelete
  17. مشكوور والله يعطيك العافيه




    goood thenkss

    ReplyDelete
  18. बहुत बढ़िया गजल बेहतरीन लाजबाब प्रस्तुति,.....

    MY NEW POST...आज के नेता...

    ReplyDelete
  19. Hausla afzaai ke liye sabhi ka bahut bahut dhanyawaad :)

    ReplyDelete
  20. कोई हिसाब नहीं, पीठ में खंजर कितने,
    कोई सीने में जो घुसाए, तो कुछ बात बने..

    Jisne seene pe khanjar se zakhm diya wo khud use bhare , to baat bane . . .

    ReplyDelete