अभी आग़ाज़ है महफ़िल का, अभी मौज कहां,
ज़रा महौल जो गर्माए, तो कुछ बात बने..
नहीं आता मज़ा अब, पी के लुड़क जाने में,
मैं पियूं और वो लड़खड़ाए, तो कुछ बात बने..
जो कह नही पाता मैं, वो धड़कने कह दें,
ज़रा दिल कोई यूं धड़काए, तो कुछ बात बने..
वो जितनी बार बदले राहें, मुझसे दूरी को,
वो आके मुझसे ही टकराए, तो कुछ बात बने..
जिसे हर शख़्स, बेहया के नाम से जाने,
वो मेरे नाम पे शर्माए, तो कुछ बात बने..
वो भड़क जाए, सुनके नाम मेरा, ऊपर से,
मन-ही-मन मगर इतराए, तो कुछ बात बने..
ये सच नहीं, कि मैं बहकाए में नहीं आता,
कोई बहका हुआ बहकाए, तो कुछ बात बने..
यही कोशिश रही सदा, के कोई ना रूठे,
कभी कोई मुझको भी मनाए, तो कुछ बात बने..
बात सीधी हो अगर, वो असर नहीं करती,
ज़रा लफ़्ज़ों को जो उलझाए, तो कुछ बात बने..
कोई हिसाब नहीं, पीठ में खंजर कितने,
कोई सीने में जो घुसाए, तो कुछ बात बने..
TBC..
वाह ...बहुत बढिया।
ReplyDeleteShukriya Sada hi :)
Deleteये सच नहीं, कि मैं बहकाए में नहीं आता,
ReplyDeleteकोई बहका हुआ बहकाए, तो कुछ बात बने... waah
:D
DeleteDhanyawaad Rashmi ji :)
सीधी बात सच में असर नहीं करती ,आपने जिस तरह कहा उसमें असर है .
ReplyDeletePhir to koshish safal ho gai.. :)
DeleteBahut bahut shukriya
बात में दम है।
ReplyDeleteDhanyawaad Sirji :)
Deleteकोई हिसाब नहीं,पीठ में खंजर कितने..
ReplyDeleteकोई सीने में जो घुसाए तो कुछ बात बने...
वाह!!!
बहुत अच्छे आदित्य जी...
Bahut bahut shukrya Vidya ji, mujhe khushi hai ki apko pasand aai :)
Deletewo bhadak jaye mera nam sun kar upperse,
ReplyDeleteman hi man etraye to kuch bat bane.......
BAHUT HI SUNDAR GAZAL ADITYAJI
Bahut bahut dhanyawaad sirji :)
DeleteHeavy words :) !
ReplyDeleteTook me some time to read through it
:)
DeleteI hope you don't regret going through :)
आदित्य जी...वाह!!!!बहुत अच्छी प्रस्तुति,बेहतरीन...
ReplyDeleteपोस्ट में आने के लिए आभार,..आपकी पोस्ट में आना सार्थक रहा,...
मै आपका फालोवर बन रहा हूँ आप भी बने मुझे हार्दिक खुशी होगी ...धन्यबाद
MY NEW POST ...कामयाबी...
Bahut bahut shukriya Dheerendra ji :)
Deletei read the complete parts again 2day...just awesome...:)
ReplyDeleteThanks Brindle.. thankuu very much :)
Deleteek ek shabd kamaal hai
ReplyDeleteShukriya sirji.. bahut bahut shukriya :)
Deleteबहुत सार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeleteवाह|||
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन ,गजब का लिखा है...
बढ़िया रचना है.....:-)
आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा मंच-791:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
Kuch din ke liye ghar chala gaya tha Sirji.. Charcha mein shaamil nahi ho paaya.. Maafi chaahta hun ..
Deleteबहुत बेहतरीन....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
लाज़वाब! अंतस को छू जाने वाली रचना..
ReplyDeleteनहीं आता अब मजा पीके लु़ड़क जाने में
ReplyDeleteमैं पिऊँ और वो लुड़क जाये तो कोई बात बने।
बेहतरीन......
कृपया इसे भी पढ़े-
नेता- कुत्ता और वेश्या(भाग-2)
वाह!!!!!बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना
ReplyDeleteMY NEW POST ...सम्बोधन...
बेहतरीन गज़ल। मक्ता लाज़वाब है।..बधाई।
ReplyDeleteمشكوور والله يعطيك العافيه
ReplyDeletegoood thenkss
बहुत बढ़िया गजल बेहतरीन लाजबाब प्रस्तुति,.....
ReplyDeleteMY NEW POST...आज के नेता...
Hausla afzaai ke liye sabhi ka bahut bahut dhanyawaad :)
ReplyDelete-Good piece of information.
ReplyDeleteकोई हिसाब नहीं, पीठ में खंजर कितने,
ReplyDeleteकोई सीने में जो घुसाए, तो कुछ बात बने..
Jisne seene pe khanjar se zakhm diya wo khud use bhare , to baat bane . . .