Friday, February 3, 2012

शुक्र है..शुक्रवार है..#34


आज कहानी सबको, अपने पल-पल की बतलाता हूं,
कैसे मैं ज़िंदा रहता हूं, कैसे सब सह पाता हूं,
रोज़ रात भर लेटा रहता हूं मैं, आंखें बंद किए,
सुबह-सुबह सब जगते है, मैं बिस्तर से उठ जाता हूं..

फिर होके तैयार, नौकरी करने को बढ़ जाता हूं,
दिनभर काम-काम चिल्ला कर, दिल को मैं बहलाता हूं,
चौबिस में से, बस ये दस घंटे ही जल्दी कटते हैं,
फिर सदियां बितलाने को मैं, दफ़तर से घर जाता हूं..

इस शरीर की ख़ातिर ही, बस खाता हूं, जो खाता हूं,
कुछ कर्ज़ों की ख़ातिर, मैं कुछ फर्ज़ निभाता जाता हूं,
राह ज़रा तकता हूं, बाकी सब के मैं सो जाने की,
फिर अपनी असली दुनिया में, नज़र बचाके आता हूं..

मैं सिगरट होठों पे रखके, फिर ख़ुदको सुलगाता हूं,
मैं शराब का जाम उठाके, फिर ख़ुदको पी जाता हूं,
फिर जो उसके संग ग़ुज़ारे, उन लम्हों की याद लिए,
मैं जितना जीना चाहता हूं, फिर उतना जी आता हूं..

सारा दिन मुस्कान लिए चहरे पर, सबको भाता हूं,
दो आँसूं आंखों में लेकर, कहने को सो जाता हूं..
दो आँसूं आंखों में लेकर, कहने को सो जाता हूं..

....

रोज़ रात भर लेटा रहता हूं मैं, आंखें बंद किए,
सुबह-सुबह सब जगते है, मैं बिस्तर से उठ जाता हूं..

24 comments:

  1. nice composition
    din kuch yun hi gujarte hai apne bhi... :-)

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  2. dincharya to achchhi hai...bas shaam ko thoda khushnuma banaayen....!

    kuchh rachnaayen padhi hain....
    badiya hain.....
    kuchh baad mein padhungi....
    shukriya mere blog tak aane ke liye...
    badhayi sundar lekhan ke liye...!!

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    1. Bahut Bahut shukriya Punam ji :)

      Bas koshish jaari hai shaam ko khushnuma banane ki.. dekhiye kab safalta milti hai :)

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  3. बहुत ही बहतरीन लिखा है आपने प्रभावशाली रचना समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।http://aapki-pasand.blogspot.com/2012/02/blog-post_03.html

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  4. सारा दिन मुस्‍कान लिए ...
    वाह ...बहुत खूब लिखा है आपने ...

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    1. Bahut bahut dhanyawad apka..
      Mujhe khushi hai apko pasand aai.. :)

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  5. गजब का लिखते हैं मित्र आप।
    बहुत अच्छा लगा।

    सादर

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  6. बहुत बेहतरीन एक -एक पंक्ती दिल को छु लेनेवाली है
    अंत कि पंक्तीया
    सारा दिन मुस्कान लिये चेहरे पर सबको भाता हू
    दो आंसू आंखो में लेकर कहने को सो जाता हु
    बहुत हि कमाल कि पंक्तीया है ...

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  7. behatareen prastuti ..... badhai aditya ji.

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  8. मन की अकुलाहट की सुंदर प्रस्तुति.पर खुद हो सुलगाने और खुद को पीने के लिए अन्य वस्तुओं की क्या जरूरत ?

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    1. Bahut bahut dhanyawad sir :)
      Ab kisi insaan par to itna bharosa raha nahi sir, to duniya mein khud ko barbaad karne ki sabse mashhoor cheezo ka sahaara le liya :D

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  9. अपने मन को उकेरकर रख दिया है आपने...दूसरों के मन-द्वार तक पहुंचकर...आज ६०% लोग ऐसे ही जी रहे हैं....बहुत बढ़िया ..

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  10. यही आज का जीवन है...बहुत सुंदर रचना जो अंतस को छू जाती है...

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  11. a good verse having a good theme.../keep it up/thanks for visiting/ i joined you blog/hope same for u/

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