बुराई मुझमें भी है, तुझमें भी है, क्या कमी है,
बुरी शराब नहीं है, बुरा तो आदमी है..
जो नहीं पीता, क्या कुछ बुरा नहीं करता,
ख़ता नहीं करता, क्या गुनाह नहीं करता,
बिना पिए करे कोई, तो कुछ भी लाज़मी है,
कोई पीके भला भी ग़र करे, तो ज़ोख़िमी है..
बुरी शराब नहीं है, बुरा तो..
जो लखपती हैं, वो चिल्लर चढ़ाके भक्त हुए,
जो ग़रीबों को नोट दे गए, कम्बख़्त हुए,
है नशा जिनको दौलतों का, वही ज़ालिमी हैं,
शराब हाथ में, तो पैर के तले ज़मी है,
बुरी शराब नहीं है, बुरा तो..
किसी का दर्द बांटना, या दर्द पहुंचाना,
किसी गिरे को हाथ देना, या के मुस्काना,
होश में तो हंसी बेबसी पे, शबनमी है,
नशे में वो भी ख़ाक है, जो आँख में नमी है,
बुरी शराब नहीं है, बुरा तो..
मज़हब के नाम पे ठग भी ले कोई, तो भला है,
कोई जो मुफ़्त में बांटे खुशी, तो मनचला है,
कोई फ़तवा हो अग़र क़्त्ल का भी, तो अमी है,
हो जाम हाथ में, तो अर्ज़ियां भी हाक़मी हैं,
बुरी शराब नहीं है, बुरा तो..
बुराई मुझमें भी है, तुझमें भी है, क्या कमी है,
बुरी शराब नहीं है, बुरा तो आदमी है..
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लाज़मी -> Justified/Essential || ज़ोख़िमी -> Risky
शबनमी -> Sparkling || अमी -> Nector/Pious
अर्ज़ियां -> Requests || हाक़मी -> Ordered (Forcibly)
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lajawaab.......
ReplyDeleteShukriya :)
Deletebahut kuch keh agye... good
ReplyDeleteShukriya Barun ji :)
Deleteबहुत खूब..
ReplyDeleteसोलह आने सच..
Bahut bahut shukriya Vidya ji :)
DeleteSpeechless...:)just awesome...:)
ReplyDeleteThankuuu Brindle.. :)
DeleteSpeechless...:)just awesome...:)
ReplyDeleteThanks again :D:D
Deleteबहतरीन ...बुरा तो शायद कुछ नहीं है अगर कुछ बुरा है तो कमबख़्त आदमी है ...:))
ReplyDeleteHehe.. bilkul sahi pallavi ji..
DeleteShukriya :)
shandar bahut khoob
ReplyDeletewah
drivingwithpen.blogspot.com
Bahut bahut shukriya Chirag ji :)
Deleteएकदम सही बात....
ReplyDeleteशानदार रचना....
Bahut bahut dhanyawad Reena ji :)
Deleteबात,सही है आपकी !
ReplyDeleteDhanyawaad :)
Deleteसरल और प्रभावी पंक्तियां । शैली मौलिक और दिलचस्प है ।
ReplyDeleteBahut bahut dhanyawad Ajay ji :)
Deletebahut hi sundar rachana adity ji .....apko hardik badhai.
ReplyDeleteBahut bahut shukriya Naveen ji :)
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteShukriya :)
Deleteसत्य है!
ReplyDeleteYe hi to log samajhte nahi hai. par humari koshish jaari hai :D
Deleteग़ालिब की गजल है ये, है जिगर की महबूबा
ReplyDeleteमोमिन की माशूका है, आदम की दीवानगी है !
जेहन में रक्स करती इक महज़बीं है !!
शायर का इल्म है ये, है हिज्र की दवा
शाम की दुआ है, बेचैन रूह की तिश्नगी है !
जेहन में रक्स करती इक महज़बीं है !!
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अभी शराब पे लिखना शुरू ही किया था की आपको पढ़ बैठे ... मजा आ गया !!
अच्छे-बुरे का फर्क ये करती नहीं है
सच बोलने से भी ये डरती नहीं है
बुरी शराब नहीं बुरा तो आदमी है !!
Bahut bahut shukriya sirji.. :)
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