Monday, February 13, 2012

किस माँ का कर्ज़ चुकाऊं मैं..


दोराहे पर खड़ा हुआ हूं, किस रस्ते को जाऊं मैं,
बड़ी कठिन दुविधा में हूं, किस माँ का कर्ज़ चुकाऊं मैं..

इक माँ ने अपने सीने से ला के दूध पिलाया है,
इक माँ ने अपने सीने को चीर अन्न उपजाया है,
किस माँ को समझूं कमतर, किस माँ का त्याग भुलाऊं मैं,
बड़ी कठिन दुविधा में हूं, किस माँ का कर्ज़ चुकाऊं मैं..

इक माँ के आंचल में मैने, पूरी दुनिया पाई है,
इक माँ की गोदी में मैने, सारी उम्र बिताई है,
किसकी करनी फर्ज़ बताऊं, किसको दुख पहुंचाऊं मैं,
बड़ी कठिन दुविधा में हूं, किस माँ का कर्ज़ चुकाऊं मैं..

उस माँ की रक्षा ख़ातिर, सेना में भरती हो जाऊं,
इस माँ को खुशियां दूं, ब्याह करूं मैं, जीवन लौटाऊं,
सीने पे गोली खाऊं, या अपना वंश बढ़ाऊं मैं,
बड़ी कठिन दुविधा में हूं, किस माँ का कर्ज़ चुकाऊं मैं..

या गिर के मैं, इस दलदल में, राजनीत को साफ़ करूं,
या बनके नौकर सरकारी, पैसे का इंसाफ़ करूं,
देश सुधारूं आगे बढ़, या रोटी घर को लाऊं मै,
बड़ी कठिन दुविधा में हूं, किस माँ का कर्ज़ चुकाऊं मैं..

दोराहे पर खड़ा हुआ हूं, किस रस्ते को जाऊं मैं,
बड़ी कठिन दुविधा में हूं, किस माँ का कर्ज़ चुकाऊं मैं..

48 comments:

  1. wts ur problem
    why do u write so good
    i m a fan

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    1. hehe :p
      problem to bas ye hi hai sirji.. ki aapke muh se waah sunna achha lagta hai :D

      Thankuuuuuuu :)

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  2. mothers are mothers.... both should be worshiped by us../

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    1. That is absolutely correct Sir, but sometimes dilemma does occur, and whether willingly or not, yo have to chose..

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  3. Excellent .. Amazing .. I will bookmark your website and take the feeds additionally?I am glad to seek out so many helpful info right here within the put up, we need work out extra strategies on this regard,love sms thanks for sharing.

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  4. the other day i wrote a satire on Google Translate using one of you post... Will update 2moro....
    Such lines come from gifted souls... Nice work

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    1. ohhh.. its my honor sirji :):)

      thankuu so much..
      will wait for the post :)

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  5. जहां रहे... जिस अवस्था में रहें, बस अपना कर्तव्य पूरा करते जाएँ...
    एक सच्ची पहल छोटे स्तर पे भी क्यूँ न हो... दोनों माओं को गौरवान्वित करेगी!
    you have given words to the dilemma very well!
    Best wishes!!!

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    1. Bas yahi koshish rehti hai Anupama ji :)
      bahut bahut shukriya

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  6. जितना हो सके उतना कीजिये...सच्चे मन से...

    बहुत प्यारी रचना..
    हमेशा की तरह एक सार्थक रचना..

    शुभकामनाएँ आपको.

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    1. Bahut bahut shukriya Vidya ji.. :)
      Koshish to humesha hi karte hain.. par kabhi kabhi lagta hai ki jitna karna chahiye utna kar nahi rahe .. ya kar nahi pa rahe..

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  7. माँ जननी बहुत ऋणी हूँ नहीं उतार सकती ऋण
    बहुत सुंदर कविता माँ ___/\__

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  8. very nice poem on maa, no body can pay her debt..

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  9. waah waah...bahut acha laaga...
    kahn logon ke maan ki baat hai.....

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  10. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

    कल 15/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है !
    क्‍या वह प्रेम नहीं था ?

    धन्यवाद!

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    1. Bahut bahut shukriya mujhe shaamil karne k liye :)

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  11. बहुत ही उम्दा लिखा है भाई :)

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  12. यूं तो कभी माँ का कर्ज़ कभी उतारा ही नहीं जा सकता मगर फिर भी माँ के लिए सच्ची श्रद्धा के दो फूल ही काफी होते हैं...

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    1. Maa ko to kaafi lagte hain.. par humein nahi lagte :)

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  13. जिन्दगी दो राहों पर ही खड़ी रहती है ......मार्ग का निर्णय हमें करना होता है ....बेहतर प्रस्तुति .....!

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  14. आदित्य आपके भाव और उनके अनुरूप अभिव्यक्ति अभिनन्दनीय है । अगर भाव है तो यह दुविधा कोई बडी नही ।

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    1. Dhanyawaad Girija ji :)
      Bhaavo bhi samay samay par paldaa kabhi idhar kabhi udhar bhaari hota rehta hai. :)

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  15. ultimate!! aur koi shabd hi nahi hai mere paas

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  16. जब कुछ ना सूझे तो दिल की राह पकडनी चाहिए !
    प्यार और फ़र्ज़ निभाने के बीच की दुविधा को खूब अभिव्यक्त किया !

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  17. बहुत ही सुन्दर गीत... वाह! वाह!
    हार्दिक बधाई.

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  18. दोनों ही माँ अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..

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  19. चौराहे पर खड़ा युवक किंकर्तव्यविमूढ़ हो राह तलाशता है। सुंदर भाव।

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  20. marvelous writing ..
    you write well..

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