दोराहे पर खड़ा हुआ हूं, किस रस्ते को जाऊं मैं,
बड़ी कठिन दुविधा में हूं, किस माँ का कर्ज़ चुकाऊं मैं..
इक माँ ने अपने सीने से ला के दूध पिलाया है,
इक माँ ने अपने सीने को चीर अन्न उपजाया है,
किस माँ को समझूं कमतर, किस माँ का त्याग भुलाऊं मैं,
बड़ी कठिन दुविधा में हूं, किस माँ का कर्ज़ चुकाऊं मैं..
इक माँ के आंचल में मैने, पूरी दुनिया पाई है,
इक माँ की गोदी में मैने, सारी उम्र बिताई है,
किसकी करनी फर्ज़ बताऊं, किसको दुख पहुंचाऊं मैं,
बड़ी कठिन दुविधा में हूं, किस माँ का कर्ज़ चुकाऊं मैं..
उस माँ की रक्षा ख़ातिर, सेना में भरती हो जाऊं,
इस माँ को खुशियां दूं, ब्याह करूं मैं, जीवन लौटाऊं,
सीने पे गोली खाऊं, या अपना वंश बढ़ाऊं मैं,
बड़ी कठिन दुविधा में हूं, किस माँ का कर्ज़ चुकाऊं मैं..
या गिर के मैं, इस दलदल में, राजनीत को साफ़ करूं,
या बनके नौकर सरकारी, पैसे का इंसाफ़ करूं,
देश सुधारूं आगे बढ़, या रोटी घर को लाऊं मै,
बड़ी कठिन दुविधा में हूं, किस माँ का कर्ज़ चुकाऊं मैं..
दोराहे पर खड़ा हुआ हूं, किस रस्ते को जाऊं मैं,
बड़ी कठिन दुविधा में हूं, किस माँ का कर्ज़ चुकाऊं मैं..
wts ur problem
ReplyDeletewhy do u write so good
i m a fan
hehe :p
Deleteproblem to bas ye hi hai sirji.. ki aapke muh se waah sunna achha lagta hai :D
Thankuuuuuuu :)
mothers are mothers.... both should be worshiped by us../
ReplyDeleteThat is absolutely correct Sir, but sometimes dilemma does occur, and whether willingly or not, yo have to chose..
DeleteExcellent .. Amazing .. I will bookmark your website and take the feeds additionally?I am glad to seek out so many helpful info right here within the put up, we need work out extra strategies on this regard,love sms thanks for sharing.
ReplyDeleteThanks a lot :)
Deletethe other day i wrote a satire on Google Translate using one of you post... Will update 2moro....
ReplyDeleteSuch lines come from gifted souls... Nice work
ohhh.. its my honor sirji :):)
Deletethankuu so much..
will wait for the post :)
Bahut achcha likha hai aapne...
ReplyDeleteBahut bahut shukriya madhuresh ji :)
Deleteजहां रहे... जिस अवस्था में रहें, बस अपना कर्तव्य पूरा करते जाएँ...
ReplyDeleteएक सच्ची पहल छोटे स्तर पे भी क्यूँ न हो... दोनों माओं को गौरवान्वित करेगी!
you have given words to the dilemma very well!
Best wishes!!!
Bas yahi koshish rehti hai Anupama ji :)
Deletebahut bahut shukriya
जितना हो सके उतना कीजिये...सच्चे मन से...
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना..
हमेशा की तरह एक सार्थक रचना..
शुभकामनाएँ आपको.
Bahut bahut shukriya Vidya ji.. :)
DeleteKoshish to humesha hi karte hain.. par kabhi kabhi lagta hai ki jitna karna chahiye utna kar nahi rahe .. ya kar nahi pa rahe..
माँ जननी बहुत ऋणी हूँ नहीं उतार सकती ऋण
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता माँ ___/\__
Dhaynyawaad :)
Deletevery nice poem on maa, no body can pay her debt..
ReplyDeleteThanks Ruchi ji :)
Deletebemisal rachna.....
ReplyDeleteBahut bahut shukriya Mridula ji :)
Deletewaah waah...bahut acha laaga...
ReplyDeletekahn logon ke maan ki baat hai.....
Dhanyawaad apka :)
Deleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteकल 15/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है !
क्या वह प्रेम नहीं था ?
धन्यवाद!
Bahut bahut shukriya mujhe shaamil karne k liye :)
Deleteबहुत ही उम्दा लिखा है भाई :)
ReplyDeleteShukriya yash ji :)
Deleteयूं तो कभी माँ का कर्ज़ कभी उतारा ही नहीं जा सकता मगर फिर भी माँ के लिए सच्ची श्रद्धा के दो फूल ही काफी होते हैं...
ReplyDeleteMaa ko to kaafi lagte hain.. par humein nahi lagte :)
Deleteजिन्दगी दो राहों पर ही खड़ी रहती है ......मार्ग का निर्णय हमें करना होता है ....बेहतर प्रस्तुति .....!
ReplyDeleteShukriya apka :)
Deleteआदित्य आपके भाव और उनके अनुरूप अभिव्यक्ति अभिनन्दनीय है । अगर भाव है तो यह दुविधा कोई बडी नही ।
ReplyDeleteDhanyawaad Girija ji :)
DeleteBhaavo bhi samay samay par paldaa kabhi idhar kabhi udhar bhaari hota rehta hai. :)
ultimate!! aur koi shabd hi nahi hai mere paas
ReplyDeleteThankuuuu so much :D
Deletewaah.....
ReplyDeleteShukriya :)
Deleteजब कुछ ना सूझे तो दिल की राह पकडनी चाहिए !
ReplyDeleteप्यार और फ़र्ज़ निभाने के बीच की दुविधा को खूब अभिव्यक्त किया !
Bahut bahut dhanyawaad :)
Deletebehtareeen:))
ReplyDeleteBahut bahut shukriya Mukesh ji :)
Deleteबहुत ही सुन्दर गीत... वाह! वाह!
ReplyDeleteहार्दिक बधाई.
Dhanyawaad Sanjay ji :)
Deleteदोनों ही माँ अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..
ReplyDeletebahut bahut shukriya Sirji :)
Deleteचौराहे पर खड़ा युवक किंकर्तव्यविमूढ़ हो राह तलाशता है। सुंदर भाव।
ReplyDeleteBahut bahut dhanyawaad Sirji :)
Deletemarvelous writing ..
ReplyDeleteyou write well..
Thanks a lot sirji :)
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