Tuesday, February 14, 2012

दिन भर के लैला मजनू..


दिन भर के लैला मजनू ने, गला फाड़ चिल्लाया है,
प्यार करो सब, प्यार करो, फिर प्यार भरा दिन आया है..

एक हाथ में, एक जेब में, बाकी फूल हैं बस्ते में,
एक नहीं तो और सही, बस आज-आज हैं सस्ते में,
गज़ब तमाशा, इश्क़-मोहब्बत का क्या ख़ूब बनाया है,
प्यार करो सब, प्यार करो, फिर प्यार भरा दिन आया है..

दिल के जज़्बातो को, आँखो से पढ़ना, क्यूं भूल गए,
पाश्चात पागलपन के झूले में, क्यूं कर झूल गए,
'प्यार', देखकर अपना ही दिन, कोने मे शर्माया है,
प्यार करो सब, प्यार करो, फिर प्यार भरा दिन आया है..

ये माना कि प्यार अगर है, तो इज़हार ज़रूरी है,
लेकिन बस इस दिन ही करना, काहे की मजबूरी है,
कभी सुना है, प्यार कहीं मुहरत निकला कर आया है,
प्यार करो सब, प्यार करो, फिर प्यार भरा दिन आया है..

प्यार मोहब्बत को तो, दिन में और पलों मे ना बांटो,
जिसे बसाओ दिल में, सारी उम्र उसी के संग काटो,
जिसने सच्चा प्यार किया है, जिसने प्यार निभाया है,
उसने हर इक दिन में सच्चा प्यार भरा दिन पाया है..
उसने हर इक दिन में सच्चा प्यार भरा दिन पाया है..

28 comments:

  1. i can truly agree on this because i find everyday to be a valentine's day with my love...
    loved it...:):)

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    1. Thanks Brindle..
      thats the point .. when u know true love.. u dont need to know any particular day for it.. :)

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  2. आज हर ब्लॉग पर प्यार की चर्चा है....
    मगर आपकी कविता और जो मैंने लिखा उसके भाव कुछ एक से हैं...
    मगर मेरा तो सबने विरोध किया :-) पोस्ट को सबका स्नेह मिला मगर subject को नहीं :-)

    शुभकामनाएँ..

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    1. Apki post padhi.. bahut hi sundar rachna hai..
      aur bilkul bhaav ek se hi hain aapki aur meri rachna mein :)

      ye to maine bhi likhne se pehle hi soch liya tha ki sab logo ko pasand nahi aayegi.. par phir mann mein jo baat hai wo likhe bina ruka bhi nahi jaata :)

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  3. देखिये जब हमें कोई अच्छी नौकरी मिलती है या जब पगार होता है
    तब भी हम नए कपडे ,गहने,अच्छा खान-पान, गिफ्ट ,शौपिंग सब करते है, पूजा पाठ भी ,भगवान को प्रसाद ,, .और यही सब हम दिवाली के दिन भी करते है या अन्य त्योहारों पर भी करते है..पर दिवाली या अन्य त्योहारों तो अपनी जगह ही है न...
    वैसे ही प्यार तो हम अपने प्रियजनों से रोज ही करते है ,पर उस प्यार को एक खास तरीके से जताने का एक अच्छा अवसर लेकर आता है यह valentine day..

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    1. Reena जी माफ़ी चाहता हूं, पर मैन आपकॉ बात से पूरी तरह सहमत नहीं हूं,
      अपना पक्ष रखना चाहूंगा..
      जिन बातों पर मेरे विचार आधारित हैं उनमे से पहली तो ये, कि प्यार को बाकी किसी भी चीज़ से तोलना य बराबरी करना ना तो सच में मुमकिन ही है और ना ही जायज़ है..
      दूसरा ये, कि एक किसी दिन को महत्वपूर्ण मानने के पीछे उस दिन कुछ घटित हुआ होना लाज़मी है, ऐसा मैं समझता हूं, द्शहरा, दीवाली, होली और बाकी अधिकतर त्योहार इसी धारणा पर आधारित हैं,
      क्रमशः राम जी द्वारा रावण का वध, राम जी की अयोध्या वापसी, प्रहलाद की सच्ची भक्ती की विजय...
      इन सब के बावजूद, मैं वैलेंटाइन डे का विरोधी नहीं हूं, बल्की उस रूप का विरोधी हूं , जिस रूप मे इसे मनाया जाता है और अधिकतर लोगों द्वारा इसको समझा जाता है..
      प्रेम व्यक्तिगत भावना है, इसे व्यक्तिगत घटनाओ के अधार पर मनाना ज़्यादा उचित लगता है मुझे, जैसे की जिस दिन इज़हार किया गया हो, या इक़रार मिला हो, पहली मुलाक़ात हुई हो, शादी के बंधन में बंधे हो ...... बजाय इसके कि किसी और द्वारा सुझाए गए किसी दिन पर इसकी खुशी मनाई जाए..
      और आज कल इस दिन को प्यार का ना समझकर, इज़्हार का दिन ज़्यादा माना जाता है.. या कहा जाए तो अपनी किस्मत अज़माने का दिन.. कह दिजिए की प्यार है.. भले हो न हो.. हां हो या ना हो, अधिकतर लोगो को फ़र्क नहीं पड़ता..
      क्यूंकी कोई एक थोड़ी है.. ये नहीं तो और सही.. और नहीं और सही..
      मैं सबके बारे में नही कह रहा हूं, पर जो लोग इस प्रकार ही सोच रखते हैं , वो ही वैलेंटाईन डे का ज़्यादा शोर मचाते हैं, और इसलिए इस दिन के प्रति ऐसी धारणा बन जाती है..

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  4. सुंदर ... उम्दा ... suprabhat आदित्य जी

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  5. अच्छा और सच्चा लिखा है....

    यह सब बाज़ारवाद की देन है... दिखावों का दौर है दोस्त, देखते जाओ आगे-आगे क्या-क्या होता है!

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    1. Shukriya Sirji..
      Bas dekh hi rahe hain.. apne aap ko bachaaye hue hain bazaarwaad se , bas itna hai :)

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  6. Very well thought and written Aditya...I 100% agree bro!
    amitaag.blogspot.com

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  7. सुन्दर और सटीक बातें आपने रचना के माध्यम से कह दी !

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  8. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  9. bahut sundar rachana Adity ji ....pahali aisi rachana apki hai jisme ap ne kam se kam sharab aur masti ka jikar nahi kiya hai ..... atah rachana ki gambhirta swath hi badh jati hai . bhai apni photo to blog pr lagao taki jindgi kisi mod pr mile to pahchanane ka sankat na ho.

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    1. Bahut bahut shukriya sirji :)
      Haha.. arre sir aisa nahi hai.. sharaab aur masti to bas shukravaar ki rachnaao k liye hai.. baaki din usse door hi rehte hain :)

      Yahan to photo options nahi hain sirji.. facebook par miliye agr samay mile to ..
      facebook.com/adityasinghbhullar

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  10. सार्थक पोस्ट ...

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  11. उम्दा और सार्थक प्रस्तुति।

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  12. बहुत बेहतरीन....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  13. पाश्चात्य सभ्यता पर चोट करती सुंदर रचना।

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