Thursday, December 29, 2011

गए साल का हर पल, कई साल में गुज़रा..



अब कैसे बताऊं मैं, किस हाल में गुज़रा,
गए साल का हर पल, कई साल में गुज़रा..

ये साल था पहला जो, बीता जुदाई में,
तेरे साथ ना होने की, मुश्क़िल सफ़ाई में,
तुझको भुलाया, तेरे ही ख़याल में गुज़रा,
गए साल का हर पल, कई साल में गुज़रा..

तुझसे किए जो वादे, पूरे नहीं किए,
वो अश्क़ जो आँखों से, गिरने तेरी दिए,
हर सांस जिस्म से मेरे, मलाल में गुज़रा,
गए साल का हर पल, कई साल में गुज़रा..

मुझको पता था, कि तू, नाराज़ है मुझसे,
जो हाल था तेरा वो, क्या राज़ है मुझसे,
हर क़तरा ख़ून दिल से, उबाल में गुज़रा,
गए साल का हर पल, कई साल में गुज़रा..

दिल पे था मेरे तेरा, है तेरा हक़ मग़र,
कुछ कर्ज़ थे, कुछ फर्ज़ हैं, तुझको भी है ख़बर,
मालूम थे जवाब, पर सवाल में गुज़रा,
गए साल का हर पल, कई साल में गुज़रा..

नए साल की मनाऊं खुशी, या मैं रो पड़ूं,
अपने ही फ़ैसलों पे, अपने आप से लड़ूं,
अच्छे बुरे के उलझे हुए, जाल में गुज़रा,
गए साल का हर पल, कई साल में गुज़रा..

अब कैसे बताऊं मैं, किस हाल में गुज़रा,
गए साल का हर पल, कई साल में गुज़रा..


2 comments:

  1. मुझको पता था, कि तू, नाराज़ है मुझसे,
    जो हाल था तेरा वो, क्या राज़ है मुझसे,
    हर क़तरा ख़ून दिल से, उबाल में गुज़रा,
    गए साल का हर पल, कई साल में गुज़रा

    ... Gud One bhai ... Sara dard shabdon me piro diya... bahut sundar.

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