मैं तुझको क्या बताऊं माँ,
मैं तुझसे क्या छुपाऊं माँ,
मुझे मालूम है, तुझको पता है, हाल सब मेरा,
मग़र कहके, "दुखी हूं मैं", तुझे कैसे सताऊं माँ..
मैं लिपटा मुश्किलों में हूं,
मैं उलझा मंज़िलों में हूं,
मुझे मालूम है, तू है मरहम, हर ज़ख़्म का मेरे,
मग़र तुझको दिखाकर चोट, मैं कैसे रुलाऊं माँ..
मैं कोशिश रोज़ करता हूं,
मैं हर इक रोज़ मरता हूं,
मुझे मालूम है, मुझपर भरोसा है तुझे पूरा,
मग़र टूटा मेरा ख़ुदपे, तुझे कैसे दिखाऊं माँ..
मेरी मुस्कान झूठी है,
मेरी उम्मीद टूटी है,
मुझे मालूम है, देगा सुकूं, रोना तेरे आगे,
मग़र बेटा हूं, आंसू आँख से, कैसे बहाऊं माँ..
बेटा हूं, आंसू आँख से, कैसे बहाऊं माँ..
मैं तुझको क्या बताऊं माँ,
मैं तुझसे क्या छुपाऊं माँ..
maa ko sab maloom hai .........kuch bhi chahe kitna chupa lo .......
ReplyDeleteMaa to tab se sab jaanti hai humaare baare mein, jab hum khud bhi nahi jaante the..
ReplyDeletetabhi to shuruaat me hi ye sawaal hai..
मैं तुझको क्या बताऊं माँ,
मैं तुझसे क्या छुपाऊं माँ..
Shukriya Roshi ji :)
very well written...
ReplyDeletemaa to sach mein anmol hai...unki jagah koi bhi nahi le sakta....:)
Thanks a lot brindle :)
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