Friday, September 30, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#22


बड़ा माहिर हूं, ख़ुद को ख़ुद से मैं छुपाने में,
खुशी-ग़म-और सभी एहसास मैं दबाने में,
जो सच में चाहते हो, सच से मेरे, मिलना तुम,
ज़माने में नहीं, मुझसे मिलो मयखाने में..

No comments:

Post a Comment