Friday, September 23, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#21


कभी तो रीत दुनिया की, मिलन होने नहीं देती,
कभी पैसे की किल्लत, बीच की दूरी बढ़ाती है,
करे देरी से मिलने पर भी, नख़रा ना गिला कोई,
मेरे महबूब से बेहतर तो मेरी बोतल-ए-मय है..
 

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