मुझे दिल, दिल को मैं अक्सर, यही समझाते हैं,
हों बुरे, या हों भले, लम्हे बीत जाते हैं..
जो बह गये, तो-ही आँखों के अश्क़ पानी हैं,
जो रह गये, तो बन तेज़ाब दिल जलाते हैं..
मैं-तो अब-भी ग़ुज़रता हूं, उन्ही की गलियों से,
ये अलग बात है, अब वो नहीं बुलाते हैं..
बड़ा सुकून मिला, दिल मेरा, जब से टूटा,
बिना तक़लीफ, नए लोग आते-जाते हैं..
जो मतलबों से दें प्यासे को पानी, क़ाफिर वो,
वो फरिश़्ते, जो दिलजलों को मय पिलाते हैं..
ये ज़रूरी नहीं, हर बात का मतलब निकले,
कभी-दिल और-मैं, बेवजह भी बड़बड़ाते हैं..
ना महफ़िलो की, ना साक़ी की ज़रूरत है कोई,
मैं-और-मय ख़ुद ही, एक दूजे को पिलाते हैं,
ज़हन के ज़ख़्म से 'घायल' हूं, हाल क्या होगा,
बदन की चोट पे, लब खुल के मुस्कुराते हैं..
Bhai Mast ... My Fav Lines ...
ReplyDeleteजो बह गये, तो-ही आँखों के अश्क़ पानी हैं,
जो रह गये, तो बन तेज़ाब दिल जलाते हैं..
बड़ा सुकून मिला, दिल मेरा, जब से टूटा,
बिना तक़लीफ, नए लोग आते-जाते हैं..
ये ज़रूरी नहीं, हर बात का मतलब निकले,
कभी-दिल और-मैं, बेवजह भी बड़बड़ाते हैं..