Sunday, June 26, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#15




पियो गर जाम इक या दो ही, बनता ख़ूब मौसम है,
मज़ा है तब तलक ज़्यादा, चढ़ी जब तक ज़रा कम है,
जो दिल हो बेख़ुदी का ख़ुद से, तो ही बस पियो ज़्यादा,
नहीं तो थोड़ी-थोड़ी सी पियो, ना जन्नतें कम हैं..

2 comments:

  1. छूट जाये जो थोड़ी भी तो क्या गम है
    पीनें को आंसू क्या दुनिया में कम है

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  2. भई मानसून है रिमझिम है तो पीना तो पड़ेगा ही....

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