Friday, June 3, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#13




ज़रा सी खोल दूं बोतल, ज़रा सा जाम फिर भर लूं,
अभी कुछ होश बाकी है, बेहोशी आम फिर कर लूं,
सुबह से अब तलक, दुनिया बुरी बस है नज़र आई,
चढ़ा के मय का चश्मा, ख़ूबसूरत शाम फिर कर लूं..

3 comments:

  1. इस जूनून को जगाये रखिये,
    लिखिए और सबको पढाये रखिये

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