Saturday, June 4, 2011

उठी जो बात है दिल में, बाहर आएगी ज़रूर..



   
उठी जो बात है दिल में, बाहर आएगी ज़रूर,
ना लब पे आई तो, कागज़ पे तो आएगी ज़रूर..

गई वो यूं, के मुड़के भी ना देखा एक दफ़ा,
दिया जो दिल था मुझे, लेने तो आएगी ज़रूर..

ना मोहब्बत सही, वहशत या वो उल्फ़त ही सही,
कोई तो चीज़, उसके दिल पे भी छाएगी ज़रूर..

नहीं किस्मत में खुशी मेरी, ये उम्मीद मगर,
ना सही जानके, भूले से, पर आएगी ज़रूर..

सभी वो छोड़ गये, जिसको भी दिल ने चाहा,
हुई है ग़म से मोहब्बत, रंग लाएगी ज़रूर..

अदा है, या तेरी दीवानगी ये है 'घायल',
उठा जो दर्द अगर, तो हंसी आएगी ज़रूर..

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