Friday, April 15, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#6




पियूं ज़्यादा, तो ज़्यादा, कम, तो कम, ये काम करती है,
हुनर सारे बढ़ा देती है, जग में नाम करती है,
बड़ी मासूम है, सीधी है सच्ची है ये मय मेरी,
ना जाने क्यूँ भला, दुनिया इसे बदनाम करती..

1 comment:

  1. दुनिया की फिक्र किए बिना आप नाम लेते रहें.

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