Friday, April 8, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#5

 
बढ़ा दे जो खुशी, पी ले जो ग़म, वो जाम ही तो है,
सही बदनाम कितनी भी, मगर कुछ काम की तो है,
सभी कुछ बांट डाला है, रईसों मे गरीबों में,
बची बस मय ही है,अब-भी अमीर-ओ-आम की जो है..

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