Tuesday, October 11, 2011

मुझे बीमार रहने दो..


दवा ना दो, दुआ ना दो, मुझे लाचार रहने दो,
मज़ा ये दर्द देता है, मुझे बीमार रहने दो..

ये मज़हब-धर्म की बातें हैं सब बेकार, रहने दो,
जिसे अपनी ख़बर ना हो उसे अख़बार, रहने दो..

वो गुज़रेंगे गली मेरी से, है अफ़्वाह ग़रम ऐसी,
तो ले आओ जनाज़ा, क़ब्र भी तैयार रहने दो..

जो चाहते हो कि मर जाऊं, मग़र ना हो निशां कोई,
तो बस इक़रार भर कर दो, ये-सब हथियार, रहने दो..

ये माना प्यार के बाज़ार के रस्ते नहीं मुश्क़िल,
मुझे दे दो वफ़ा, राहें भले दुश्वार रहने दो..

मुझ-ही से सीखकर तरक़ीब, मुझपर आज़माते हो,
के थोड़ी सी श़रम बाक़ी, मिंयां-मक्कार, रहने दो..

हंसी मेरी, खुशी मेरी, सभी कुछ छीन लो लेकिन,
कलम मेरी, मेरा काग़ज़, ये बस दो यार रहने दो..

वफ़ा की आस में जीते हुए ही मर गया 'घायल',
के अब तौबा से क्या होगा, उन्हे ग़द्दार रहने दो..


2 comments:

  1. यार आदि .. यह अब तक की बेस्ट है बेस्ट ...
    loved it ... awesome

    ReplyDelete