Friday, July 15, 2011

शुक्र है..शुक्रवार है..#17


मैं अगर पीता हूं तन्हा, तो बुराई क्या है,
कोई नाटक ना तमाशा है, बुराई क्या है,
मज़ा मालूम है मुझको भी, जाम-ए-महफ़िल का,
सजी है महफ़िल-ए-तन्हाई, बुराई क्या है..

3 comments:

  1. Wah bhai .. सजी है महफ़िल-ए-तन्हाई, बुराई क्या है..

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  2. मैं अगर पीता हूं तन्हा, तो बुराई क्या है,

    वाह भई, पर पी कर बहकना बुरा है,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  3. मैं अगर पीता हूं तन्हा, तो बुराई क्या है

    वाह जनाब , बुराई कैसे नहीं ?
    तनहा नहीं … साथ बैठ कर पिया कीजिए न :)

    शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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