इश्क़ क्या, क्यूं, कब, कहां, कैसे, वजा* ना मांगिए,
मांगिए तो इश्क़ करने का बहाना मांगिए..
ज़िंदगी कट जाएगी, चैन-ओ-सुकूं से आपकी,
इक बड़े से दिल में, कोने का ठिकाना मांगिए..
कामयाबी ख़ुद चली आएगी, चलिए तो सही,
घर की दीवारों से, मंज़िल का पता ना मांगिए..
है नई शै* की चमक, बस तब तलक, जब तक नई,
उम्र भर रौनक की ख़ातिर, कुछ पुराना मांगिए..
आपने कल चाँद मांगा, हमने वो भी ला दिया,
पर ख़ुदा के वास्ते, हमसे ख़ुदा ना मांगिए..
इश्क़ हमको आपसे है, था, रहेगा भी सदा,
पर सनम ताज़ा मुहब्बत का मज़ा ना मांगिए..
मौत भी, जिसको सुने तो, सर झुकाए शर्म से,
ज़िंदगी के इस सफ़र से, वो फ़साना मांगिए..
ग़र ये अंदाज़-ए-बयां, लगता है अच्छा आपको,
आप 'घायल' के लिए, ग़म का ख़ज़ाना मांगिए..
*वजा - वजह
*शै - Object
बेहतरीन सुन्दर गज़ल.
ReplyDeleteKhuda se dua hai har hasi aur khushi mile aapko,
ReplyDeletechaahe to meri jaan bhi dedu par meri mohabbat ka Mol na maangiye! :) Gustaakhi Maaf . Your poetry jst tempts me also to give a try (feeble one) and this one is my fav till now ! one of the best \m/ ATB
आपने कल चाँद माँगा, हमने वो भी ला दिया
ReplyDeleteपर खुदा के वास्ते, हमसे खुदा ना मांगिये
बहुत खूब.
ReplyDeleteदीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!
कल 12/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत ही सुन्दर रचना....
ReplyDeleteआपको सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ..
:-)
waah bahut accha ....
ReplyDeleteBahut khoob:-)
ReplyDeletesundar prasturi,deepawli ki hardik subhkamnaye
ReplyDeleteअब गमों का खजाना तो हमारे पास था..जिसे हमने दफन कर दिया था पर उसपर घासफूस के साथ एक बड़ा सा बरगद का पेड़ भी उग आया...। अब क्या है कि पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ो की बलि नहीं दी जा सकती ..इसलिए ये खजाना तो आपको दे नहीं सकते हम। हां बड़े दिल वाला हैं हम..मगर औऱ कोई मिले तो बता दीजिएगा...
ReplyDeleteवाह क्या कहने ...
ReplyDeleteआपकी गज़ल पर वारी जाऊं मैं
बड़ी खूबसूरती के साथ पेश किया है गजल का हर एक शेर ...
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/12/blog-post.html
Very sweet poem at front i like it dear.
ReplyDeleteVery Happy New Year. Makar Sakranti aur Lohdi ki Hardik Shubhkamnayein!
ReplyDeleteThanks a million and please keep up the enjoyable work.
ReplyDelete:) hey u r nominated for Liebster Award here http://shvetasp.blogspot.in/2013/03/thank-you.html
ReplyDeleteकामयावी खुद चली आएगी चलिए तो सही .... बहुत दमदार
ReplyDeleteGreat Thought. Sometimes you can get on asking but not all the times. You have to come out from closets to see the world with your own eyes. Regards.
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