कभी तन्हाई में चुपके से रुलाती होगी,
कभी थोड़ा, कभी ज़ोरों से सताती होगी,
ये माना, मैं नहीं आता हूं अब ख़यालों में,
ऐ सनम, तुझको मेरी याद तो आती होगी..
बिन मौसम के बरसती हुई बरसातों में,
या सर्द दिल के सर्द हो चुके जज़्बातों में,
या जनवरी की ठिठरती हुई सी रातों में,
मेरे यादों की ही गर्मीं तो सुलाती होगी..
ऐ सनम,...
जो आग दिल से निकलने को फड़कती होगी,
जो आग दिल में चाँदनी से भड़कती होगी,
जो आग दिल की धड़कनों मे धड़कती होगी,
मेरी यादों की ही ठंडक तो बुझाती होगी,
ऐ सनम,...
मुझे इल्ज़ाम दिया तूने बेवफ़ाई का,
मेरी मजबूरियों को नाम इक सफ़ाई का,
मेरा मक़सद ही मोहब्बत में था जुदाई का,
मेरी हर याद रोज़ सच तो दिखाती होगी,
ऐ सनम, तुझको मेरी याद तो आती होगी..
ऐ सनम, तुझको मेरी याद तो आती होगी..!!
Tuesday, April 24, 2012
ऐ सनम, तुझको मेरी याद तो आती होगी..
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बहुत सुंदर ,..
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
मोहब्ब्त सच्ची होगी तो याद क्यूँ ना आएगी.........
ReplyDeleteसुंदर भाव....
अनु
याद हो आती होगी, यकीनन !
ReplyDeletesach mein pyar kiya hai to yaad aati hogi
ReplyDeleteजय हिन्द !
ReplyDeleteबहुत ख़ूब!!
ReplyDeleteयादों को ठहरना ही तो नहीं आता ...
ReplyDeleteBehtareen Rachna!!!
ReplyDeletehttp://antarmannn.blogspot.com
Again an awesome composition...loved it...:)
ReplyDeleteSabhi ka bahut bahut shukriya..
ReplyDeleteMaafi chaahta hun Samay ki kami ki wajah se aapki posts padh nahi paa raha hun.. :(