आज फिर आँख भर गई होगी,
उसको मेरी ख़बर गई होगी..
मेरी यांदों की धूल में लिपटी,
हाय कैसे वो घर गई होगी..
रात ख़्वाबों में देख कर मुझको,
सोते-सोते संवर गई होगी..
बारहा बेहया सवालों से,
जीते जी फिर से मर गई होगी..
इक तरफ़ प्यार इक तरफ़ रस्में,
नंगे पांवों गुज़र गई होगी..
अश्क़ पीकर, नज़र झुका कर के,
सबके दिल में उतर गई होगी..
चाय की प्यालियां संभाले, ख़ुद,
होके टुकड़े बिखर गई होगी..
कहते-कहते कबूल है क़ाज़ी,
रहते-रहते मुक़र गई होगी..
वाह !!! बहुत सुंदर गजल,,
ReplyDeleteRECENT POST: मधुशाला,
बहुत ही सुंदर गज़ल, वाह !!!!!!!!!!!!
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ReplyDeleteवाह बेहतरीन गजल
धूल से लिपटी यादों के सात घर जाना
प्यार का महीन अहसास
बधाई
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करें
jyoti-khare.blogspot.in
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?
very touching ....
ReplyDeleteदर्द और सिर्फ दर्द .....!!!!
ReplyDeleteकितना अनिश्चित सब-कुछ!
ReplyDeleteGr8 lines.
ReplyDeleteParitosh
www.dr3vedi.blogspot.in
द्वन्द और दर्द का समन्वय!
ReplyDeleteWow! It's nice gazal.
ReplyDeleteAmazing..
ReplyDeleteसुंदर...मौज्जाँ ही मौज्जाँ!!
ReplyDeleteluv dis one :)
ReplyDeletewaah!
ReplyDeletepadhke maza aa gaya
Haan aaj bhi jab tera zikr aata hai to dil bhar jaata hai . . Aisa lagta hai jaise kal ki hi to baat hai
ReplyDeleteIt was very useful for me. Keep sharing such ideas in the future as well. This was actually what I was looking for, and I am glad to came here! Thanks for sharing the such information with us.
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