आज फिर आँख भर गई होगी,
उसको मेरी ख़बर गई होगी..
मेरी यांदों की धूल में लिपटी,
हाय कैसे वो घर गई होगी..
रात ख़्वाबों में देख कर मुझको,
सोते-सोते संवर गई होगी..
बारहा बेहया सवालों से,
जीते जी फिर से मर गई होगी..
इक तरफ़ प्यार इक तरफ़ रस्में,
नंगे पांवों गुज़र गई होगी..
अश्क़ पीकर, नज़र झुका कर के,
सबके दिल में उतर गई होगी..
चाय की प्यालियां संभाले, ख़ुद,
होके टुकड़े बिखर गई होगी..
कहते-कहते कबूल है क़ाज़ी,
रहते-रहते मुक़र गई होगी..