दिल में है और कुछ, ज़बां पे और बात है,
बन आई है जो मेरी जां पे, और बात है..
हाँ आज लिख रहा हूं काग़ज़ों पे हाल-ए-दिल,
इक दिन लिखूंगा आसमां पे, और बात है..
ताज़ा है ज़ख़्म, दुख रहा है, रो रहा हूं मैं,
कल मुस्कुराऊंगा निशां पे, और बात है..
सारे जहां को है ख़बर, वो ठग रहा मुझे,
मुझको यकीं है बेइमां पे, और बात है..
मालूम है, नहीं तुम्हारे दिल में मैं मग़र,
जी जाऊंगा फ़क़त ग़ुमां पे, और बात है..
मुझको ज़हन से, दिल से तो चलो मिटा लिया,
पर नाम है जो दास्तां पे और बात है..
हर ओर हो रहीं है बरकतों की बारिशें,
बस छोड़ कर मेरे मकां पे, और बात है..
है एक सा समां, यहां वहां, इधर उधर,
तुम ले चलो मुझे, जहां पे और बात है..
'घायल' पढ़े कोई अग़र तो बात और है,
जो ग़ौर दे अग़र बयां पे और बात है..
वाह,,,, बहुत खूब बेहतरीन गजल,,,,आदित्य जी बधाई,
ReplyDeleteRECENT POST ...: जिला अनुपपुर अपना,,,
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
बहुत बेहतरीन
ReplyDeleteशानदार गजल...
:-)
Hey keep posting such good and meaningful articles.
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