मैं तुझको आज बताता हूं, के कमी क्या है,
तू मुझको आज ये बता, के ज़िंदगी क्या है..
ये ऊंच-नींच, जात-पात, ये मज़हब क्यूँ हैं,
ये रंग-देश, बोल-चाल, बंटे सब क्यूँ हैं,
तू-ही हर चीज़, तो फिर पाक़-ओ-गंदगी क्या है..
किसी पत्थर को पूज-पूज, नाचना-गाना,
सुबह-ओ-शाम, तेरा नाम, लेके चिल्लाना,
तेरा यकीं या ढोंग, तेरी बंदगी क्या है..
किसी को देके चैन, दर्द में सुकूं पाना,
किसी को देके दर्द, ज़ुल्म करके मुस्काना,
हंसी अपनी या तड़प ग़ैर की, खुशी क्या है..
कोई दरिया लिए दिल में है, मग़र हंसता है,
कोई देता है दहाड़ें, तो होंठ कसता है,
निरा बाज़ार नकल्लों का है, असली क्या है..
सिवा इंसान, मारे उतना जितना खा पाए,
यही बस एक, जितना खाए, भूख बढ़ जाए,
ना जाने कौन जानवर है, आदमी क्या है..
कोई नख़रे में हो नाराज़, और ना बात करे,
कोई क़ाबिल, किसी मजबूर का ना साथ करे,
है बेबसी या गुनाह, या है बेरुखी, क्या है..
जिसे नदिया मिली बहती, वो चाहे दरिया को,
जिसे इक बूंद नहीं, ताके वो गगरिया को,
है दुआ कौन खरी, सच्ची तिश्नगी क्या है..
किसी को दिल में बसा लेना, उम्र भर के लिए,
किसी नए का साथ, हर नए सफ़र के लिए,
है क्या बला ये इश्क़, और-ये दिल्लगी क्या है..
मैं तुझको कब तलक गिनाऊं, के कमी क्या है,
तू मुझको अब तो ये बता, के ज़िंदगी क्या है..
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एक मक़ता इस नज़्म से अलग, पर इसी क़ाफ़िए पर:
"कोई शायर है, या पागल है, दिवाना है कोई,
ये जिसका नाम है 'घायल', ये वाक़ई क्या है.."
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वाह वाह ...एकदम लाजवाब लिखा है आपने।
ReplyDeleteसादर
बेहतरीन भाव पूर्ण सार्थक रचना, शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव !
ReplyDeleteबहूत हि सुंदर सार्थक रचना है
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ती
वाकई बेमिसाल रचना ! आदित्य जी आपकी कलम में जादू है !
ReplyDeleteHi,
ReplyDeleteFirst thanks for voting my post.
I liked your verse very much.
Sorry that I am not fluent in Hindi to write back.
Namaste.
वाह!!!
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब..सोचने को मजबूर करता हुआ...
दाद कबूल करिये..
वाह...हम भी अब तक न समझ सके हैं कि जिंदगी क्या है... बड़ा मुश्किल है इसे समझना...
ReplyDeleteanother masterpiece...:):)
ReplyDeleteलगता है बहुत रिसर्च की है आपने जिंदगी का पता करने की.
ReplyDeleteदिल और दिमाग का खेल है सब
जो दिमाग ने सोचा और् दिल ने महसूस किया
बस इतना ही ?
पर हर दिमाग की सोच और दिल भी तो अलग अलग है.
तो फिर हर किसी के लिए जिंदगी भी अपनी अपनी.
सुन्दर और आदित्य प्रस्तुति के लिए आभार,आदित्य जी.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.
यह किसी शोध का परिणाम है अच्छी रचना बधाई
ReplyDeleteसुन्दर..पोस्ट . होली की शुभ कामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर. मेरे सामने वाले घर में एक लड़की रहती है जिसका नाम पलछिन है. (मैं उसके दादा सामान हूँ और यही संबोधन मेरे लिए होता है) माता पिता के रखे नाम पर वह अचंभित है.
ReplyDeletebahot khoobsurat......
ReplyDeletebeautiful! makes us aware of all the contradictions and falsehood of day to day life
ReplyDeleteइतना आसान कहाँ है जिंदगी को जानना !
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल !
बढ़िया रचना
ReplyDeleteGyan Darpan
..
वाह.... बहुत बढ़िया... ताजगी से भरी हुई...
ReplyDeletebahut khoov
ReplyDeleteshaandar rachna
वाह खुबसुरत रचना. दिल को छू गयी.
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी गज़ल...
ReplyDeleteऔर कई रचनाएँ पढ़ीं...
बहुत बढ़िया....
बहुत सुंदर सार्थक भाव अभिव्यक्ति,..लाजबाब रचना,...
ReplyDeleteआदित्य जी,.फालोवर बन गया हूँ आप भी बने,..
NEW POST...फिर से आई होली...
NEW POST फुहार...डिस्को रंग...
वाह !!!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लेखन.....
i've seen older ones too.....
too good....
ragards.
वाह!!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लेखन..
i've seen the older ones too...
very good..
regards.
Sabhi ka bahut bahut bahut dhanyawaad.. :)
ReplyDeleteab to aur bhi mehnat karni padegi..
ek baar aisi waah-waahi ka ras lag jaaye to phir baar baar mazaa lene ka ji chaahta hai :):)
Nice post thanks Dear !!! cheers !!!
ReplyDeletehttp://www.bigindianwedding.com/